सरकार के आर्थिक पैकेज की उम्मीदों पर चल रहा था शेयर बाजार
आज यानी सोमवार को को ईद-उल-फितर के उपलक्ष्य में घरेलू शेयर बाजार बंद हैं। इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजार में निवेशक कोरोना के घटते-बढ़ते आंकड़ों और घरेलू कंपनियों के तिमाही नतीजों पर मुख्य रूप से नजर रखेंगे। इसमें कोरोना के आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। जानकारों के मुताबिक इसकी प्रमुख वजह यह है कि पिछले लगातार तीन दिनों के दौरान कोरोना के मामले देश में शीर्ष पर रहे हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि लॉकडाउन के मौजूदा चौथे चरण में सरकार ने ग्रीन व ऑरेंज जोन में कारोबार की जिस तरह इजाजत दी है, उसके क्या नतीजे रहते हैं, इस पर भी निवेशक पैनी नजर रखेंगे।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर का कहना था कि बाजार अब तक सरकार और आरबीआइ की तरफ से आर्थिक पैकेज की उम्मीदों पर चल रहा था उनमें से अधिकांश उम्मीदें अब सामने आ चुकी हैं। अगर थोड़ी-बहुत उम्मीद बची भी है तो वह कब तक सामने आएगी, यह कहना अभी बहुत मुश्किल है। अब शेयर बाजारों और निवेशकों को लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होने और उसके बाद बाजारों के रुख का इंतजार है। लेकिन बाजारों की नजर सबसे ज्यादा कोरोना के नए मामलों पर है, जो निश्चित तौर पर बहुत अच्छे नहीं हैं।
नायर के मुताबिक निवेशक किसी खास सेक्टर के घटनाक्रमों को देखते हुए प्रतिक्रिया दे सकते हैं। लेकिन कोरोना को लेकर बाजार पूरी तरह सजग और सतर्क है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक रविवार को तीसरे दिन भी कोरोना के मामलों में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई। रविवार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में देशभर में कोरोना के 6,767 नए मामले सामने आए।
कोटक महिंद्रा असेट मैनेजमेंट कंपनी में इक्विटी रिसर्च प्रमुख शिबानी सरकार कुरियन का कहना था कि कोविड-19 के अलावा अमेरिका और चीन में कारोबार को लेकर उपजी तनातनी पर भी दुनियाभर के निवेशकों की नजर रहेगी। वहीं, रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा के मुताबिक इस सप्ताह बैंकिंग व फाइनेंशियल सेक्टर के स्टॉक्स में कुछ खरीदारी दिख सकती है। इसकी वजह यह है कि पिछले सप्ताह इनके शेयर खासे दबाव में दिखे हैं और कई सेक्टर निचले स्तर पर हैं। पिछले सप्ताह बीएसई के 30-शेयरों वाले प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 425.14 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी। इस सप्ताह एचडीएफसी, डाबर इंडिया, ल्यूपिन, टीवीएस मोटर कंपनी व वोल्टास जैसी चुनिंदा बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे आने हैं।