सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम है ये उपचुनाव

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बीते दिनों कांग्रेस का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था. उनके बीजेपी में जाने के बाद से मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासी हलचल काफी देखने को मिल रही है. सिंधिया के बाद उनके 22 समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे कमलनाथ सत्ता से बेदखल हो गए और शिवराज सिंह चौहान की फिर से वापसी संभव हुई. इस्तीफा देने के कारण उन तमाम विधायकों की सदस्यता चली गई. जिसकी वजह से राज्य में उपचुनाव कराने पड़ रहे हैं.

पहले से खाली दो सीटों सहित कुल 24 पर उपचुनाव आने वाले समय में होने हैं. इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में आती हैं. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई. अब ये उपचुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम है.

राजनीतिक जानकारों की मानें, तो मध्य प्रदेश में हाल के दिनों जिस तरह नेताओं ने दल बदला है, उससे बाकी नेताओं को अपनी ही पार्टी में बदले हुए परिदृश्य का सामना करना मुश्किल हो रहा है. इनमें विधानसभा में पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2013 में बीजेपी में शामिल होने के लिए कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था. 2018 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस में वापसी की और उपचुनाव के लिए टिकट पाने के इच्छुक हैं.

दिलचस्प बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की कांग्रेस में री-एंट्री हुई थी. हालांकि, 2018 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इस उपचुनाव में वह भिंड की मेहगांव सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं. हालांकि, उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी अजय सिंह, (जिन्होंने कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा) अब बड़ी समस्या बन रहे हैं.

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को अपने टिकट का खुलकर विरोध कर चतुर्वेदी की समस्याओं को कई गुना बढ़ा दिया. इस बात से बौखलाए चतुर्वेदी ने सोमवार को पलटवार करते हुए पूछा कि दिग्विजय सिंह किस क्षमता से उनका विरोध कर रहे हैं.

इसके अलावा, शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी मनोज चौधरी के खिलाफ टिकट की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें कांग्रेस के टिकट पर हराया था और हाल ही में बीजेपी में शामिल होने के लिए इस्तीफा दे दिया था.

सिंधिया बनाम कमलनाथ होगा उपचुनाव?
जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, उनमें 22 वे क्षेत्र हैं, जहां से सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दिया है. बीजेपी इन सभी 22 नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाने का लगभग मन बना चुकी है. यही कारण है कि अब उपचुनाव को सिंधिया बनाम कमलनाथ के नाम पर लड़ने की तैयारी है.

राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रविवार को ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का दौरा भी किया था, ताकि जमीनी हकीकत को भांपा जा सके. इस दौरान नरोत्तम मिश्रा ने इस क्षेत्र के पांच सीनियर नेताओं से भी मुलाकात की. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि टिकट बंटवारे की प्रक्रिया शुरू होते ही दोनों पार्टियों में आंतरिक कलह भी उजागर होने लगेगी.

पूरी तैयारी कर रही बीजेपी
हालांकि, बीजेपी में प्रदेश स्तरीय उपचुनाव की तैयारियां लगातार जारी है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने उपचुनाव में पार्टी की जीत तय करने को लेकर रणनीति बनाना और फैसले लेने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन पार्टी के लिए मुश्किल इस बात की होगी कि जिस चेहरे को लेकर बीजेपी सत्ता में दोबारा वापसी कर पाई है उस चेहरे के बिना उपचुनाव में पार्टी अपनी जीत की नैया कैसे पार लगाएगी.

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