राजस्थान की सियासत के लिए आज खास दिन, HC थोड़ी देर में सुनाएगा फैसला लेकिन….

राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच आज राजस्थान हाई कोर्ट सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 बाग़ी विधायकों की याचिका पर सुबह 10.30 बजे फ़ैसला सुनाएगी. इन विधायकों ने स्पीकर डॉ. सी पी जोशी की तरफ़ से उन्हें जारी किए गए नोटिस के ख़िलाफ़ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. राजस्थान की सियासत में इन दिनों भारी उठापटक चल रही है. राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस इंद्रजीत मोहंती और जज प्रकाश गुप्ता की डिवीजन बैंच ने इस याचिका पर घंटो सुनवाई की है. देश के नामचीन वकील हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी ने अलग अलग पक्षकारों के लिए हाई कोर्ट में लम्बी लम्बी दलीलें दी.

शीर्ष अदालत ने सोमवार को फिर से सुनवाई की तारीख़ दी

साल्वे और रोहतगी ने सचिन ख़ेमे का पक्ष रखा तो अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर जोशी की पैरवी की. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने 21 जुलाई को तय किया कि फ़ैसला 24 जुलाई यानि आज सुनाया जाएगा. लेकिन मामला सिर्फ़ हाई कोर्ट की सुनवाई तक ही सीमित नहीं रहा. 22 जुलाई को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ. सी पी जोशी ने हाई कोर्ट मे हुई सुनवाई को अपने अधिकारों का हनन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी दाखिल कर दी. ये एस एल पी सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनी गई लेकिन सुनवाई अधूरी रही और शीर्ष अदालत ने सोमवार को फिर से सुनवाई की तारीख़ दे दी.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट में वहां के बागी विधायकों की याचिका पर चल रही कार्रवाई को रोकने से मना कर दिया है. यानी हाई कोर्ट आज पायलट खेमे के बागी विधायकों की याचिका पर फैसला देगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि हाई कोर्ट के फैसले पर अमल फिलहाल नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट 27 जुलाई को मामले में आगे की सुनवाई करेगा. राज्य विधानसभा के स्पीकर सी पी जोशी ने हाई कोर्ट की कार्रवाई को अपने अधिकार क्षेत्र में दखल बताते हुए इसे रोकने की मांग की थी. उनका कहना था कि 1992 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक कोई भी कोर्ट अयोग्यता के मामले में स्पीकर का फैसला आने के बाद ही दखल दे सकता है.

पायलट ख़ेमे की केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की मांग

लेकिन यहां कुछ विधायकों ने स्पीकर की तरफ से भेजे गए नोटिस को चुनौती दी और हाई कोर्ट ने उस पर सुनवाई शुरू कर दी. इतना ही नहीं स्पीकर से फिलहाल अपनी कार्रवाई न करने के लिए भी कहा. इस फैसले का व्यवहारिक असर यह होगा कि अगर हाई कोर्ट का फैसला पायलट खेमे के 19 विधायकों के हक में भी आता है, तब भी गहलोत सरकार को 27 जुलाई तक कोई सीधा खतरा नहीं होगा. इस बीच सचिन पायलट ख़ेमे ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की है.

ऐसे में ये देखना रोचक होगा कि क्या हाई कोर्ट इस याचिका को स्वीकार करती है? मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है इसलिए अगर कोर्ट ने याचिका अस्वीकार कर दी तो फ़ैसला कोर्ट खुलने यानि सुबह 10.30 बजे के बाद कभी भी आ सकता है. लेकिन अगर पायलट ख़ेमे की केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की मांग स्वीकार कर ली गई तो फ़ैसला थोड़ा टल सकता है क्योंकि तब केंद्र सरकार को पक्षकार बनाकर उनका पक्ष सुनने के लिए नोटिस देकर समय भी दिया जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो सुनवाई में फिर समय लगेगा.

आम तौर पर हाई कोर्ट में सुबह सबसे पहले फ़ैसलों का ही समय होता है और इस परम्परा के आधार पर फ़ैसला जल्द आने की सम्भावना है. लेकिन कभी ऐसे मामलों में सुनवाई करने वाली बेंच फ़ैसले का समय भी तय कर देती है फिर उस तय समय पर फ़ैसला दिया जाता है. अब इस मामले में लम्बी बहस हुई है ऐसे में देखना ये होगा कि फ़ैसला क्या खुली कोर्ट में सुनाया जाएगा या फिर फ़ैसले की प्रति सम्बंधित पक्षकारों को अदालत में दे दी जाएगी.

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