जानिए एक ऐसा मंदिर के बारे में जहाँ किन्नर भी आकर हो गया था गर्भवती
आज तक आप सभी ने कई ऐसे मंदिरों के बारे में सुना या पढ़ा होगा जो अपनी रोचक बातों के लिए मशहूर हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानने के बाद आपको हैरानी होगी. जी दरअसल हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं वह मध्य प्रदेश के बड़वानी में स्थित नागलवाड़ी शिखरधाम स्थित 700 साल पुराना भीलटदेव मंदिर है. जी दरअसल लोगों का मानना है कि बाबा भीलटदेव यहां नाग देवता बनकर रहते हैं. आप जानते ही होंगे नागपंचमी पर लोग नाग देवता का पूजन करते हैं. ऐसे में यहाँ भी लोग नाग पंचमी के दिन पूजा अर्चना करने आते हैं लेकिन इस बार ऐसा हो ना सका.
जी दरअसल कोरोना के कारण इस बार यहां मेला भी नहीं लग पाया. आपको बता दें कि नागलवाड़ी शिखरधाम घने जंगल एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है और यह मंदिर राजपुर तहसील में आता है. ऐसा कहा जाता है ‘बाबा के दरबार में एक बार कोई किन्नर आया. किन्नर ने अपने लिए संतान मांग ली. बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया किन्नर गर्भवती हो गया लेकिन कोई बच्चे के जन्म के लिए वो शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं था, लिहाजा बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई. इस किन्नर की यहां समाधि है. उसके बाद बाबा ने श्राप दिया कि कोई भी किन्नर नागलवाड़ी में नहीं रुकेगा.’
आप सभी को बता दें कि ऐसी मान्यता है कि 853 साल पहले मध्य प्रदेश के हरदा जिले में नदी किनारे स्थित रोलगांव पाटन के एक गवली परिवार में बाबा भीलटदेव का जन्म हुआ था. उनके माता-पिता मेदाबाई नामदेव शिवजी के भक्त थे. कहा जाता है उन्हें कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की. उसके बाद बाबा का जन्म हुआ था. एक कहानी यह भी है कि, ‘शिव-पार्वती ने इनसे वचन लिया था कि वो रोज दूध-दही मांगने आएंगे. अगर नहीं पहचाना, तो बच्चे को उठा ले जाएंगे. एक दिन इनके मां-बाप भूल गए, तो शिव-पार्वती बाबा को उठा ले गए. बदले में पालने में शिवजी अपने गले का नाग रख गए. इसके बाद मां-बाप ने अपनी गलती मानी. इस पर शिव-पावर्ती ने कहा कि पालने में जो नाग छोड़ा है, उसे ही अपना बेटा समझें। इस तरह बाबा को लोग नागदेवता के रूप में पूजते हैं.’