रूस ने भी छोड़ा चीन का साथ! S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी पर लगाई रोक
चीन के सबसे बड़े सहयोगी और दोस्त माने-जाने वाले रूस ने ही इस मुश्किल वक़्त में उसे बड़ा झटका दे दिया है. भारत (India), अमेरिका (US) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) से जारी तनाव के बीच रूस ने फिलहाल चीन को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (S-400 surface-to-air missile defense systems) की डिलिवरी रोक दी है. चीन की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक अन्य देश के दबाव में रूस ने ये फैसला लिया है. बता दें कि भारत ने भी रूस से ये मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है और चीन का इशारा भी भारत की तरफ ही है.
एस-400 दुनिया का सबसे बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है और रूस के अलावा सिर्फ चीन के पास इसकी कुछ यूनिट हैं. रूस ने रक्षा डील के बाद भारत को इसकी पहले खेप इसी साल मिलने वाली है. बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस दौरे के दौरान पुतिन सरकार ने भारत को वक़्त पर इसकी डिलिवरी देने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की थी. चीन के लिए ये बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि एक तरफ रूस ने भारत से वक़्त पर डिलिवरी देने का वादा किया है वहीं चीन की न उसके डिलीवरी रोकी है बल्कि यह भी नहीं बताया है कि यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम उसे फिर कब दिया जाएगा.
#Russia suspends deliveries of S-400 missiles to #China
Russia stopped supplying anti-aircraft guided missiles since 5 months ago.
"Russia is worried that delivery of missiles at this time will affect the anti-pandemic efforts of the #Chinese army"🤔https://t.co/JaMBJnXqa8
— Indo-Pacific News – Watching the CCP-China Threat (@IndoPac_Info) July 26, 2020
दबाव में काम कर रहा है रूस
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, ‘इस बार रूस ने साफ कर दिया है कि वो चीन को एस-400 मिसाइल की डिलिवरी रोक रहा है.’ चीन की एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है- इस कदम से साफ हो जाता है कि सिर्फ हथियार खरीद का समझौता करने से कुछ नहीं होता. जरूरी यह है कि सिर्फ बिल नहीं वे हथियार भी आपको मिलें. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘चीन यह मानता है कि रूस ने दबाव में एस-400 की डिलिवरी रोकी है. चीन ने तो अपने सैनिकों को इस मिसाइल की ट्रेनिंग के लिए रूस भेज दिया था. चीन का स्पष्ट मानना है कि रूस ने दबाव में फैसला लिया है. चीन के एक अफसर ने कहा- रूस को लगता है कि महामारी के वक्त अगर एस-400 की डिलिवरी चीन को की गई तो इससे चीन की ही परेशानियां बढ़ेंगी.
China needs to build more nuclear missiles as the country is facing unprecedented security challenges from the US, Global Times chief editor Hu Xijin wrote in his Sina Weibo account on Sunday. https://t.co/oEAXAkk1vG pic.twitter.com/EHa5foCUmd
— Global Times (@globaltimesnews) July 26, 2020
जानकारों का मानना है कि भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र रूस ने ये फैसला लिया है. चीन को इस मिसाइल सिस्टम की पहली खेप साला 2018 में ही मिल चुकी है जबकि भारत को ये आने वाले दिसंबर तक मिलेगी. भारतीय पक्ष कमजोर नज़र न आए इसके लिए पहले ये सिस्टम भारत को देने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा रूस ने पिछले दिनों अपनी सेंट पीटर्सबर्ग आर्कटिक सोशल साइंस एकेडमी के प्रेसिडेंट वेलेरी मिटको को गिरफ्तार किया था. वेलेरी पर खुफिया एजेंसियां कई महीनों से नजर रख रही थीं. उन पर आरोप है कि उन्होंने चीन के बेहद संवेदनशील सैन्य जानकारियां दीं और बदले में पैसे लिए. वेलेरी के तीन और साथियों को भी गिरफ्तार किया गया. इनमें दो चीनी नागरिक हैं. रूस ने चीन को इस प्रकरण के बाद नसीहत भी दी थी.
जानिए क्या है एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
एस-400 मिसाइल सिस्टम 400 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी खत्म करने में सक्षम है. एस-400 डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का काम करेगा, जो पाकिस्तान और चीन की एटमी क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को सुरक्षा देगा. जानकारी के मुताबिक यह सिस्टम एक बार में 72 मिसाइल दाग सकता है. साथ ही यह सिस्टम अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को भी गिरा सकने में सक्षम है. इसके आलावा परमाणु क्षमता से लैस 36 मिसाइलों को ये सिस्टम एकसाथ नष्ट कर सकता है. चीन के बाद इस डिफेंस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश है.