बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद्गार है ये योगासन

मानसून के मौसम का आप कई तरह से मजा ले सकते हैं. इस मौसम में गरम-गरम चाय या कॉफी का कप लेकर घर की खिड़की पर घंटों बैठकर बारिश का मजा लेने से अच्छा और कुछ नहीं हो सकता है. परंतु इस मौसम में कई बीमारियों के होने की संभावनाओं भी हो जाती हैं जैसे- सांस से जुड़ी या पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियां आदि. ऐसे में अपने आप को व्यायाम के जरिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता होती है, तो आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासन बताने जा रहे हैं, जो आपको मानसून के इस मौसम में फिट रखने में मददगार होते हैं.

जल नमस्कार करें
इस योग की विशेष बात यह है कि इसकी योगिक तकनीके मानसून के लिए ही बनाई गई हैं, जो आपकी प्रतिरक्षा को मज़बूत बनाने का काम करती हैं. इसे हिमालयी प्रवाह का जल नमस्कार कहते हैं. यह एक बहुत ही शक्तिशाली तकनीक होती है जो पानी के तत्व के अनुरूप होती हैं. जल नमस्कार एक 28 काउंट के साथ बनाया गया विन्यास है जो आपके शरीर के अंदर जल तत्व को पहचानने और अनुभव करने में आपकी यहायता करता है. इस आसन को ‘फ्लो’ भी कहा जाता है, जिनकी गुणवत्ता पानी से संबंधित होती है जैसे पद्मासन, अर्ध मत्स्येन्द्र आसन, हलासन, सुपता वज्रासन और मत्स्य आसन आदि.

मत्स्य आसन करें
इस आसन को करने के लिए आप योगा मैट पर अपनी पीठ के बल लेट जाएं और आपकी टांगों को जोड़कर रखें. फिर अपनी हथेलियों को कूल्हों के नीचे के जाकर हथेलियों को जमीन की ओर रखें. अब अपनी कोहनियों को एक-दूसरे के पास रखने की कोशिश करें. फिर पालथी मारकर बैठ जाएं और अपनी जांघों और घुटनों को फर्श पर सीधा रखें. अब सांस लेते हुए अपने सीने को ऊपर की ओर उठाएं और सिर भी ऊपर की ओर उठाएं लेकिन आपके सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन को छूता रहे. ध्यान रहे आपके शरीर का पूरा वजन कोहनियों पर होना चाहिए न कि आपके सिर पर. फिर जैसे-जैसे आपका सीना उठता है वैसे-वैसे ही कंधों की मांसपेशियों पर हल्का दबाव पड़ने लगता है. इसके बाद आप इस स्थिति में तब तक रहें जब तक आप सहज महसूस कर रहे हैं. सांसों की गति सामान्य ही बनाए रखें. फिर सांस बाहर छोड़ें और अपनी पुरानी स्थिति में वापस लौट जाएं. इसके साथ ही आप सबसे पहले सिर को उठाएं और सीने को जमीन पर वापस ले आएं. फिर अपने पैरों को सीधा करें और आराम करें.

हलासन करें
इस आसन को करने के लिए आप योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं. फिर अपने हाथों को शरीर से चिपका लें और अपनी हथेलियों को जमीन की तरफ ही रहने दें. अब सांस अंदर की तरफ लेते हुए पैरों को ऊपर की ओर उठाएं. ऐसे में आपकी टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी. इसमें पूरा दबाव पेट की मांसपेशियों पर ही रहता है. फिर अपनी टांगों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें. अब अपनी सीधी टांगों को सिर की ओर झुकाते हुए अपने पैरों को सिर के पीछे की ओर ले जाएं. फिर आप अपने पैरों के अंगूठे से जमीन को स्पर्श करें. इसके बाद अपने हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रखें इसमें हथेली को नीचे की ओर रखें. आपकी कमर जमीन के समानांतर ही रहती है. इस स्थिति में आप एक मिनट तक रहें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सांस छोड़ते हुए अपने पैरों को वापस जमीन पर लेकर आएं.

पश्चिमोत्नासन करें  
इसके लिए आप योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को आपस में फैलाकर एक साथ रखें और फिर पूरे शरीर को सीधा तना हुआ रखें. अब अपने हाथों को धीरे-धीरे उठाते हुए सिर की तरफ ऊपर ज़मीन पर रखें. इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर की तरफ तेजी से उठाते हुए कमर के ऊपर के हिस्से को उठाकर बैठने की पोजिशन में आते हुए धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों से अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें. इस आसन को करते वक्त अपने दोनों पैरों और हाथों को एक दम सीधा रखें और अपनी नाक को पैर के घुटने से स्पर्श करने की कोशिश करें. इस प्रक्रिया को 10-10 सेकेंड का आराम लेते हुए 3 से 5 बार दोहराएं. इस आसन को करते वक्त अपनी सांसों की चाल को सामान्य ही रखें.

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