लोगों ने लॉन में अपना सोना गाड़ा
अमीन का ये फैसला इतना अचानक था कि युगांडा की सरकार इस लागू करने के लिए तैयार नहीं थी। कुछ अमीर एशियाइयों ने अपने धन को खर्च करने का नायाब तरीका निकाला। निरंजन देसाई बताते हैं, ‘उन लोगों में इस तरह की सोच बन गई कि अगर आप अपना पैसा बाहर नहीं ले जा सकते हैं तो उसे स्टाइल से उड़ा दीजिए। कुछ अक्लमंद लोग अपना पैसा बाहर ले जाने में कामयाब भी हो गए। सबसे आसान तरीका था पूरी दुनिया घूमने का पूरे परिवार के लिए फर्स्ट क्लास टिकट खरीदना जिसमें एम सीओ के जरिए होटल बुकिंग पहले से ही कर दी गई हो।’
उन्होंने कहा, ‘इन एमसीओ (मिसिलेनियस चार्ज ऑर्डर) को बाद में युगांडा से निकलने के बाद भुनाया जा सकता था। कुछ लोगों ने अपनी गाड़ियों की कार्पेट के नीचे जेवर रख कर पड़ोसी देश कीनिया पहुंचाए। कुछ लोगों ने पार्सल के जरिए अपने जेवर इंग्लैंड भेज दिए। दिलचस्प बात ये है कि ये सभी अपने गंतव्य स्थान पर सुरक्षित पहुंच भी गए। कुछ को उम्मीद थी कि वो कुछ समय बाद वापस युगांडा लौट आएंगे। इसलिए उन्होंने अपने जेवर अपने लॉन या बगीचे में गाड़ दिए। मैं कुछ ऐसे लोगों को भी जानता हूं जिन्होंने अपने जेवर बैंक ऑफ बड़ोदा की स्थानीय ब्रांच के लॉकर में रखवा दिए। उनमें से कुछ लोग जब 15 साल बाद वहां गए तो उनके जेवर उस लॉकर में सुरक्षित थे।’
उंगली से अंगूठी काट कर उतरवाई गई
इस समय लंदन में रह रही गीता वाट्स को वो दिन अब भी याद हैं जब वो लंदन जाने के लिए एनतेबे हवाई अड्डे पहुंची थीं। गीता बताती हैं, ”हम लोगों को अपने साथ ले जाने के लिए सिर्फ 55 पाउंड दिए गए थे। जब हम हवाई अड्डे पहुंचे तो लोगों के सूटकेस खोल कर देखे जा रहे थे। उनकी हर चीज बाहर निकाल कर फेंकी जा रही थी, ताकि वो देख सकें कि उसमें सोना या पैसा तो छिपा कर नहीं रखे गए हैं।”
‘पता नहीं किस वजह से मेरे माता-पिता ने मेरी उंगली में सोने की एक अंगूठी पहना दी थी। हमसे कहा गया कि मैं अंगूठी उतार कर उन्हें दे दूं। अंगूठी इतनी कसी थी कि मेरी उंगली से उतर ही नहीं रही थी। आखिर में उन्हेंने उसे काट कर मेरी उंगली से अलग किया। सबसे खतरनाक चीज ये थी कि जब अंगूठी को काटा जा रहा था, तो ऑटोमेटिक हथियार लिए युगांडाई सैनिक हमें घेर कर खड़े थे।’
32 किलोमीटर की दूरी में पांच बार तलाशी
बहुत से एशियायियों को अपने दुकाने और घर ऐसे ही खुले छोड़ कर आना पड़ा। उन्हें अपना घर का सामान बेचने की इजाजत नहीं थी। युगांडाई सैनिक उनका वो सामान भी लूटने की फिराक में थे, जिन्हें वो अपने साथ बाहर ले जाना चाहते थे। निरंजन देसाई बताते हैं, ‘कंपाला शहर से एनतेबे हवाई अड्डे की दूरी 32 किलोमीटर थी। युगांडा से बाहर जाने वाले हर एशियाई को बीच में बने पांच रोड ब्लॉक्स से हो कर जाना पड़ता था। हर रोड ब्लॉक पर उनकी तलाशी होती थी और सैनिकों की पूरी कोशिश होती थी कि उनसे कुछ न कुछ सामान ऐंठ लिया जाए।’
जॉर्ज इवान स्मिथ अपनी किताब ‘गोस्ट ऑफ कंपाला’ में लिखते हैं, ‘अमीन ने एशियाइयों की ज्यादातर दुकानें और होटल अपने सैनिकों को दे दिए। इस तरह के वीडियो मौजूद हैं जिसमें अमीन अपने सैनिक अधिकारियों के साथ चल रहे हैं। उनके साथ हाथ में नोट बुक लिए एक असैनिक अधिकारी भी चल रहा है और अमीन उसे आदेश दे रहे हैं कि फलां दुकान को फलां ब्रिगेडियर को दे दिया जाए और फलां होटल फलां ब्रिगेडियर को सौंप दिया जाए।’
वो लिखते हैं, ‘इन अधिकारियों को अपना घर तक चलाने की भी तमीज नहीं थी। वो मुफ्त में मिली दुकानों को क्या चला पाते। वो एक जनजातीय प्रथा का पालन करते हुए अपने कुनबे के लोगों को आमंत्रित करते और उनसे कहते कि वो जो चाहें, वो चीज यहां से ले जा सकते हैं। उनको इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि कहां से नई चीजें खरीदी जाएं और इन चीजों का क्या दाम वसूला जाए। नतीजा ये हुआ कि कुछ ही दिनों में पूरी अर्थव्यवस्था धरातल पर पहुंच गई।’
अमीन की क्रूरता और बर्बरता
इस पूरी घटना से अमीन की छवि पूरी दुनिया में एक नीम सनकी शासक के रूप में फैल गई। उनकी क्रूरता की और कहानियां भी पूरी दुनिया को पता चलने लगीं। अमीन के समय में स्वास्थ्य मंत्री रहे हेनरी केयेंबा ने एक किताब लिखी ‘अ स्टेट ऑफ ब्लड: द इनसाइड स्टोरी ऑफ ईदी अमीन’ जिसमें उन्होंने अमीन की क्रूरता के ऐसे किस्से बताए कि पूरी दुनिया ने दांतो तले उंगली दबा ली।
केयेंबा ने लिखा, ‘अमीन ने अपने दुश्मनों को न सिर्फ मारा बल्कि उनके मरने के बाद उनके शवों के साथ भी बर्बरता पूर्ण व्यवहार किया। युगांडा के मेडिकल समुदाय के बीच ये बात आम थी कि मुर्दाघर में रखे बहुत से शवों के साथ छेड़छाड़ की गई थी और उनके गुर्दे, लिवर, नाक, होंठ और गुप्तांग गायब मिलते थे। जून 1974 में जब विदेश सेवा के एक अधिकारी गॉडफ्री किगाला को गोली मारी गई तो उसकी आंखें निकाल ली गईं और उनके शव को कंपाला के बाहर जंगलों में फेंक दिया गया।’
केयेंबा ने बाद में एक बयान दिया कि कई बार अमीन ने जोर दिया कि वो मारे गए लोगों के शवों के साथ कुछ समय अकेले में बिताना चाहते हैं। जब मार्च 1974 में कार्यवाहक सेनाध्यक्ष ब्रिगेडियर चार्ल्स अरूबे की हत्या हुई तो अमीन उनके शव को देखने मुलागो अस्पताल के मुर्दाघर में आए। उन्होंने उपचिकित्सा अधीक्षक क्येवावाबाए से कहा कि वो उन्हें शव के साथ अकेला छोड़ दें। किसी ने ये नहीं देखा कि अमीन ने अकेला छोड़े जाने पर उस शव के साथ क्या किया, लेकिन कुछ युगांडावासियों का मानना है कि उन्होंने अपने दुश्मन का खून पिया जैसा कि काकवा जनजाति में प्रथा है। अमीन काकवा जनजाति से आते थे।
मानव गोश्त खाने के आरोप
केयेंबा लिखते हैं, ”कई बार राष्ट्रपति और दूसरे लोगों के सामने शेखी बघारी थी कि उन्होंने मानव का गोश्त खाया है। मुझे याद है अगस्त 1975 में जब अमीन कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के अपनी जाएर यात्रा के बारे में बता रहे थे तो उन्होंने कहा कि वहां उन्हें बंदर का गोश्त परोसा गया जो कि मानव के गोश्त से अच्छा नहीं था। लड़ाई के दौरान अक्सर होता है कि आपका साथी सैनिक घायल हो जाता है। ऐसे में उसको मार कर खा जाने से आप भुखमरी से बच सकते हैं।” एक और मौके पर अमीन ने युगांडा के एक डॉक्टर को बताया था कि मानव का गोश्त तेंदुए के गोश्त से ज्यादा नमकीन होता है।
अमीन के एक पुराने नौकर मोजेज अलोगा ने कीनिया भाग आने के बाद एक ऐसी कहानी सुनाई थी जिस पर आज के युग में विश्वास करना मुश्किल है। अमीन के समय में युगांडा में भारत के उच्चायुक्त रहे मदनजीत सिंह ने अपनी किताब कल्चर ऑफ द सेपल्करे में लिखा है, अलोगा ने बताया, ”अमीन के पुराने घर कमांड पोस्ट में एक कमरा हमेशा बंद रहता था। सिर्फ मुझे ही उसके अंदर घुसने की इजाजत थी और वो भी उसे साफ करने के लिए।”
‘अमीन की पांचवीं बीबी सारा क्योलाबा को इस कमरे के बारे में जानने की बहुत उत्सुक्ता थी। उन्होंने मुझसे उस कमरे को खोलने के लिए कहा। मैं थोड़ा झिझका क्योंकि अमीन ने मुझे आदेश दिए थे कि उस कमरे में किसी को घुसने नहीं दिया जाए। लेकिन जब सारा ने बहुत जोर दिया और मुझे कुछ पैसे भी दिए तो मैंने उस कमरे की चाबी उन्हें सौंप दी। कमरे के अंदर दो रेफ्रीजरेटर रखे हुए थे। जब उन्होंने एक रेफ्रीजरेटर को खोला तो वो चिल्ला कर बेहोश हो गईं। उसमें उनके एक पूर्व प्रेमी जीज गिटा का कटा हुआ सिर रखा हुआ था।’
अमीन का हरम
सारा के प्रेमी की तरह अमीन ने कई और महिलाओं के प्रेमियों के सिर कटवाए थे। जब अमीन की दिलचस्पी इंडस्ट्रियल कोर्ट के प्रमुख माइकल कबाली कागवा की प्रेमिका हेलेन ओगवांग में जगी तो अमीन के बॉडीगार्ड्स ने उन्हें कंपाला इंटरनेशनल होटल के स्वीमिंग पूल से उठवा कर गोली मार दी। बाद में हेलेन को पेरिस में युगांडा के दूतावास में पोस्ट किया गया, जहां से वो भाग निकलीं। अमीन मेकरेरे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विंन्सेंट एमीरू और तोरोरो के रॉक होटल के मैनेजर शेकानबो की पत्नियों के साथ भी सोना चाहते थे। इन दोनों को बाकायदा योजना बना कर मारा गया।
अमीन के इतने प्रेम संबंध थे कि उनकी गिनती करना मुश्किल है। कहा जाता है कि एक समय में उनका कम से कम 30 महिलाओं का हरम हुआ करता था जो पूरे युगांडा में फैला होता था। ये महिलाएं ज्यादातर होटलों, दफ्तरों और अस्पतालों में नर्सों के रूप में काम करती थीं। अमीन की चौथी पत्नी मेदीना भी एक बार उनके हाथों मरते-मरते बाल बाल बची थीं। हुआ ये कि फरवरी 1975 में अमीन की कार पर कंपाला के पास गोलीबारी की गई। अमीन को शक हो गया कि मेदीना ने हत्या की कोशिश करने वालों को कार के बारे में जानकारी दी थी। अमीन ने मेदीना को इस बुरी तरह से पीटा कि उनकी खुद की कलाई टूट गई।
अधिकतर एशियाइयों को ब्रिटेन ने शरण दी
बहरहाल एशियाइयों को निकाले जाने के बाद युगांडा की पूरी अर्थव्यवस्था तहसनहस हो गई। निरंजन देसाई बताते हैं, ‘चीजों की इतनी कमी हो गई जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। होटलों में किसी दिन मक्खन गायब हो जाता तो किसी दिन ब्रेड। कंपाला के कई रेस्तरां अपने मेन्यू कार्ड की इस तरह हिफाजत करने लगे जैसे वो कोई सोने की चीज हो। वजह थी कि शहर के प्रिंटिंग उद्योग पर एशियाइयों का एकाधिकार था।’
निकाले गए 60,000 लोगों में से 29,000 लोगों को ब्रिटेन ने शरण दी। 11,000 लोग भारत आए। 5,000 लोग कनाडा गए और बाकी लोगों ने दुनिया के अलग अलग देशों में पनाह ली। जमीन से शुरुआत करते हुए इन लोगों ने ब्रिटेन के रिटेल उद्योग की पूरी सूरत बदल दी। ब्रिटेन के हर शहर के हर चौराहे पर पटेल की दुकान खुल गई और वो लोग अखबार और दूध बेचने लगे। आज युगांडा से ब्रिटेन में जा कर बसा पूरा समुदाय बहुत समृद्ध है। ब्रिटेन में इस बात के उदाहरण दिए जाते हैं कि किस तरह बाहर से आए पूरे समुदाय ने न सिर्फ अपने आप को ब्रिटेन की संस्कृति में ढाला बल्कि उसके आर्थिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।