कोविड-19 संकट: अरावली के वन्य जीवों के लिए साबित हुआ वरदान, विचरण करते दिखे वन्य जीव

कोरोना संकट अरावली पहाड़ी क्षेत्र के वन्य जीवों के लिए वरदान साबित हो रहा है। क्षेत्र में लोगों का प्रवेश कम होने से काफी इलाकों में वन्य जीव विचरण करते हुए दिखाई देने लगे हैं। इससे वन्य जीवों की संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। यही नहीं इस बार मानसून के दौरान कई दिन अच्छी बारिश होने से क्षेत्र में पानी की कहीं कमी नहीं है।

अरावली पहाड़ी क्षेत्र के कुछ इलाकों में ही कोरोना संकट से पहले वन्य जीव दिखाई देते थे। यही नहीं वन्य जीव अक्सर रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते थे। कोरोना संकट शुरू होने के बाद से जहां काफी इलाकोें मेें वन्य जीव दिखाई देने लगे हैं वहीं रिहायशी इलाकों में वन्य जीवों के पहुंचने की शिकायत भी न के बराबर है। इसके पीछे मुख्य कारण क्षेत्र में लोगों का प्रवेश कम होना है। लोगों की वजह से वन्य जीव अशांत होकर इधर-उधर भागते थे। यही नहीं केवल उन्हीं इलाकों में रहने लगे थे जिन इलाकों में लोग जा नहीं सकते।

जिन इलाकों में वन्य जीव दिखाई देने लगे हैं उनमें मानेसर, कासन, नैनवाल, दमदमा, भोंडसी, बंधवाड़ी, मांगर, बाड़गुर्जर, कोटा खंडेला, रायसीना, मंडावर, शिकोहपुर एवं घाटा के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं। अन्य जिलों के अरावली पहाड़ी क्षेत्र में भी वन्य जीव सामान्य रूप से विचरण करते हुए दिखाई देने लगे हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता प्रो. केके यादव कहते हैं कि वे हर सप्ताह अरावली पहाड़ी क्षेत्र में भ्रमण के लिए निकलते हैं। कोरोना संकट के बाद पूरा दृश्य बदल चुका है। नैनवाल, बाड़गुर्जर, शिकोहपुर एवं कोटा खंडेला आदि इलाकोें में पहले वन्य जीव कहीं नहीं दिखाई देते थे। अब कई प्रकार के वन्य जीव झुंड में दिखाई देते हैं।

गणना से पता चलेगा कितनी बढ़ी संख्या

कोरोना संकट की वजह से वन्य जीवों की संख्या कितनी बढ़ी, यह अगले साल होने वाली वन्य जीवों की गणना से पता चलेगा। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की टीम वन्य जीवों की गणना करेगी। वर्ष 2017 की गणना के मुताबिक अरावली पहाड़ी क्षेत्र में सबसे अधिक गीदड़ है। इसके बाद लकड़बग्घा की संख्या है।

वन्य जीव की संख्या

तेंदुआ: 31

गीदड़: 166

सेहली: 91

नेवला: 50

भेड़िया: 3

जंगली बिल्ली:26

लोमड़ी: 4

लकड़बग्घा: 126

लंगूर की प्रजाति:2

बिज्जू : 61

अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन्य संरक्षक (वन्य जीव) एमएस मलिक का कहना है कि कोरोना संकट से अरावली पहाड़ी क्षेत्र की तस्वीर बदल गई है। लोगों के अरावली इलाके में प्रवेश से वन्य जीव अशांत हो जाते हैं। कोरोना संकट की वजह से लाेगों का प्रवेश न के बराबर है। इसका लाभ दिखने लगा है। अगले साल वन्य जीवों की गणना से संख्या कितनी बढ़ी है, पता चलेगा।

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