बिहार की राजनीति में ठिठुरन तोड़ने के प्रयास हो रहे नाकाम
बिहार में ठंड अब असर दिखा रही है, खासकर राजनीति पर। बीच-बीच में गर्मी लाने के जो प्रयास हो भी रहे हैं वो ठिठुरन तोड़ने में नाकाम हैं। मंत्रिमंडल विस्तार पर जदयू-भाजपा संवाद मुंह से निकलते ही जम गया। शराब के जरिये कांग्रेस ने कुछ कोशिश की तो वह हमप्याला साथियों को ही गरम नहीं कर पाई। राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव इस ठंडेपन से दूर दिल्ली में चुपचाप डेरा डाले हैं। उनकी सुस्ती पक्ष-विपक्ष दोनों के ही निशाने पर है। नई सरकार के गठन पर जिस तरह की सरकारी मशीनरी की खटपट सुनाई देती है, वैसी ही रह-रह कर बस मीडिया के जरिये सुनाई दे रही है।
यह समझा जा रहा था कि खरमास (16 दिसंबर से प्रारंभ) से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा। एनडीए के अंदरखाने से ऐसी खबरें आ रही थीं कि मंत्रियों की संख्या को लेकर जिच है। विधानसभा में संख्याबल के आधार पर भाजपा का पलड़ा भारी है। उसके 21 व जदयू के 12 मंत्री बन सकते हैं। जदयू बराबर-बराबर की मांग कर रहा है। संभावना थी कि खरमास शुरू होने से पहले ही विस्तार हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हआ। इस पर नीतीश कुमार ने मंगलवार को यह कहकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया कि भाजपा से अभी तक उन्हें कोई प्रस्ताव ही नहीं मिला है। नीतीश के इस बयान पर भाजपा की तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई। भाजपा की खामोशी के सियासी मायने निकाले जाने लगे। सभी को भाजपा के जवाब का इंतजार था। दूसरे दिन प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने यह कह इस मुद्दे को टाल दिया कि अभी हमारा जोर संगठन पर है, जब समय आएगा बता दिया जाएगा। मामला ठंडा हो गया और उन्हें भी ठंडा कर गया, जो लालबत्ती पर निगाहें टिकाए थे व जो इस पर खेलने का मन बनाए थे।
चुनाव बाद शराब की गर्मी फिर जोर मार रही है। चुनाव के समय शराबबंदी की समीक्षा करने का सबसे पहले वादा करने वाली कांग्रेस ने ही इसकी व्यावहारिकता पर बहस छेड़ दी है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला कि शराबबंदी कानून बेअसर है और अवैध धनार्जन का साधन बन गया है। शराब की होम डिलीवरी हो रही है। इसके अवैध कारोबार में पुलिस-प्रशासन और राजनीतिज्ञ भी शामिल हो चुके हैं। शराबबंदी से गरीब परिवारों की माली हालत सुधरने के बजाय और बिगड़ चुकी है।
सरकार को चार से पांच हजार करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है। उन्होंने आग्रह किया कि शराबबंदी कानून की समीक्षा कर दोगुनी-तिगुनी कीमत करते हुए शराब पर लगी रोक हटाई जाए। उनके पत्र के बाद सरकार के सहयोगी हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए नीतीश को बधाई दी, लेकिन मांग कर डाली कि वैसे गरीब जो शराबबंदी कानून के तहत छोटी गलती के लिए तीन महीने से जेल में बंद हैं, उनकी जमानत की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। ऐसे बयानों के बाद अब शराब कंपनियां भी इसे खोलने की मांग करने लगी हैं।
इन सबके बीच नीतीश कुमार का फोकस अब अपने सात निश्चय-दो को लागू करने पर है। इस चुनाव में रोजगार एक बड़ा मुद्दा था। 10 लाख नौकरी देने के वादे के साथ तेजस्वी यादव मैदान में थे। भाजपा ने भी बाद में 19 लाख का वादा कर लिया था। नीतीश ने अपनी दूसरी कैबिनेट में बीस लाख रोजगार की घोषणा कर दी है। सात निश्चय-2 के तहत युवाओं को उन तकनीकों में बेहतर प्रशिक्षण देने का इंतजाम किया गया है, जिसकी अभी बाजार में मांग है।
युवाओं में उद्यमिता विकसित पर जोर दिया जा रहा है। सरकार कम ब्याज पर उन्हें ऋण उपलब्ध कराएगी। महिलाओं के लिए उद्यमिता विकास के लिए अधिकतम पांच लाख रुपये सब्सिडी और पांच लाख रुपये बिना ब्याज का ऋण देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा भी तमाम घोषणाएं रोज हो रही हैं। कानून व्यवस्था पर खासा जोर है। मुख्यमंत्री तीन बैठकें कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी अपराध पर कोई खास अंकुश नहीं लग सका है।