नाक को सुंदर बनाने के चक्कर में चली गयी दोनी टांगे…
खूबसूरत चेहरे की ख्वाहिश में नाक की सर्जरी करवाना एक लड़की को बहुत भारी पड़ गया. एक तुर्किश प्लास्टिक सर्जरी क्लीनिक से नाक की सर्जरी करवाने के बाद उसे मजबूरन घुटनों से नीचे अपनी दोनों टांगे कटवानी पड़ी. दरअसल, 25 साल की सेविंक सेक्लिक ने इस्तानबुल के एक प्राइवेट अस्पताल से नाक छोटी कराने के लिए ‘नोज़ रिडक्शन सर्जरी’ करवाई थी. सेविंक को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि एक दिन यही सर्जरी उसके पैर गंवाने की वजह बन जाएगी.
सर्जरी के बाद बुखार- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 मई 2014 को करीब दो घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद उसकी हालत ठीक थी तो डॉक्टर्स ने उसे घर भेज दिया. घर जाकर सेंविंक को बुखारे चढ़ने लगा. हालांकि अस्पताल इस बात पर जोर देता रहा कि उसकी हालत ठीक है. एक सप्ताह बाद जब वो डॉक्टर्स से मिलने अस्पताल पहुंची तो वहां मौजूद सभी कर्मचारियों को हटा दिया गया था.
दिन-ब-दिन बिगड़ती रही हालत- लोकल मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्पताल वालों ने उससे कहा कि सभी लक्षण साधारण हैं और घबराने की कोई बात नहीं है. सर्जरी के बाद अक्सर इस तरह के लक्षण सामने आते हैं. हालांकि डॉक्टर्स के आश्वासन के बावजूद उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती ही रही.
काला पड़ चुका था टांगों का रंग– सेविंक के भाई जिसका नाम मीडिया रिपोर्ट्स में उजागर नहीं किया गया है, उन्होंने बताया, ‘सर्जरी के बाद खाना-पीना छूटने से उसकी बहन लगातार बीमार रहने लगी थी. उसकी टांगों का रंग काला पड़ चुका था. हालत बहुत ज्यादा गंभीर होने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.’
जान बचाने के लिए काटने पड़े पैर– इमरजेंसी डॉक्टर्स ने 9 जून को परिवार वालों से कहा कि सेविंक ब्लड पॉयजनिंग की समस्या से जूझ रही है. अब उसकी जान बचाने के लिए पैर काटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. आखिरकार सेविंक की जान बचाने के लिए डॉक्टर्स को उसके घुटनों से नीचे तक पैर काटने ही पड़े.
अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज- इस मामले में सेविंक ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और एक करोड़ रुपए (177,399 ऑस्ट्रेलियन डॉलर) के मुआवजे की मांग की है. वहीं, अस्पताल स्टाफ का कहना है कि इस घटना के लिए उन्हें दोषी ठहराना सही नहीं है. इसमें उनकी कोई गलती नहीं है.
एक्सपर्ट रिपोर्ट के बाद होगा फैसला– अस्पताल वालों का कहना है कि ये ब्लड पॉयजनिंग सर्जरी के दो हफ्ते बाद और हॉस्पिटलाइज्ड होने से कुछ दिन पहले तक चिकन खाने का नतीजा है. कोर्ट ने इस मामले पर एक्सपर्ट रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद अगले साल अप्रैल में इस पर कोई फैसला लिया जाएगा.