CM योगी जी के ठोस फैसलों के चलते यूपी निर्यात के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए फिर से पांचवी रैंक पर पहुंच गया
कोरोना महामारी में हुए लॉकडाउन की वजह से सारी गतिविधियां ठप थी. जिस कारण चालू वित्त वर्ष के शुरूआती आठ महीने अप्रैल से नवंबर 2020 के दौरान देश और यूपी के निर्यात कारोबार में भी गिरावट हुई थी. हालांकि अनलॉक होने के बाद मुख्यमंत्री योगी द्वारा निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए ठोस फैसलों के चलते अब फिर से यूपी का निर्यात कारोबार पटरी पर आने लगा है. यही नहीं यूपी निर्यात के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए फिर से पांचवी रैंक पर पहुंच गया है.
सरकार के एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2019 में अप्रैल से नवंबर तक देश से 14,84,386.50 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात हुआ था. तब यूपी से 80,058.44 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात किया गया.
कोरोना संकट के दौरान जब वर्ष 2020 में अप्रैल से नवंबर तक देश से 12,99,354.87 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात हुआ, तब इसी समयावधि में यूपी से 72,508.14 करोड़ रुपए के उत्पाद विदेश भेजे गए.
सूबे की सरकार के इन आंकड़ों के अनुसार, कोरोना संकट के दौरान देश और प्रदेश के निर्यात में कमी आई. तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य में निर्यात कारोबार को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया. जिसके चलते ही यूपी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, केरल, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए निर्यात के मामले में देश में पांचवी रैंक पर आ गया है.
अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोरोना संकट के दौरान जब देश के निर्यात कारोबार में भारी कमी आई तब यूपी के निर्यात कारोबार में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई थी. जिसका संज्ञान लेते हुए तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे के निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए.
जिसके चलते निर्यातकों के उत्पाद को विदेशों में भेजने की कार्रवाई की गई. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तहत निर्यातकों को बड़ी सहूलियतें देने का प्रयास हुआ.
देखते ही देखते कालीन व अन्य टेक्सटाइल, फ्लोरकवरिंग, मीट, पीतल के सजावटी उत्पाद, खिलौने, स्पोर्ट्स पार्ट्स और लकड़ी उत्पाद के निर्यात में तेजी आ गई. यहीं नहीं यूपी के निर्यात कारोबार में आयी 30 प्रतिशत की गिरावट में सुधार करते हुए उसे 9.43 प्रतिशत पर ले आया गया है. जिसके चलते यूपी निर्यात के क्षेत्र में पांचवी रैंक हासिल करने में सफल हो गया.
सूबे के निर्यात कारोबारियों का मत है कि यह रैंक पाने के पीछे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही प्रयास है. वैसे भी कालीन अन्य टेक्सटाइल, फ्लोरकवरिंग, मीट, पीतल के सजावटी उत्पाद, खिलौने, स्पोर्ट्स पार्ट्स और लकड़ी उत्पाद के निर्यात में यूपी नंबर एक पर है. और देश के निर्यात में यूपी की हिस्सेदारी 4.55 प्रतिशत है.
राज्य में बने उत्पाद अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, ब्रिटेन, नेपाल, जर्मनी, चीन, फ्रांस, स्पेन तथा मलेशिया सहित कई देशों को निर्यात किए जाते हैं. निर्यात से जुड़े कारोबारियों के अनुसार, यूपी से सबसे अधिक निर्यात हांथो से प्रोसेस्ड मीट, चमड़े के उत्पाद तथा कालीन का किया जाता है.
निर्यात कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार, कोरोना संकट के दौरान फार्मास्युटिकल सेक्टर का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. अप्रैल से नवंबर 2020 के दौरान इस सेक्टर के निर्यात में 15 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. इसके अलावा चावल और लौह अयस्क तथा सूबे के ओडीओपी योजना के उत्पादों का निर्यात भी अब बढ़ा हैं. निर्यात कारोबार से जुड़े कारोबारियोंको उम्मीद है, प्रदेश सरकार की नीतियों से अगले तीन महीनों में वर्ष 2019 में हुए निर्यात के बराबर ही निर्यात होने लगेगा.