यूपी में बढ़ रही हैं हर साल तीन हजार किन्नरों की संख्या, जानें किस धर्म में सबसे अधिक
किन्नर यानी समाज का ऐसा वर्ग जिसके बारे में जानने की जिज्ञासा लोगों में अक्सर बनी रहती है। समय, समाज के बदलते सरोकार के बीच किन्नरों के प्रति सोच बदल रही है। लेकिन यदि हम उनके बीच जाकर उनकी वास्तविक परिस्थितियों से रूबरू हों तो कई रोचक तथ्य सामने आते हैं। शहर की एक निजी सामाजिक संस्था की ओर से हुए सर्वेक्षण में किन्नरों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आयी है। इसमें सबसे खास है कि प्रदेश में हर साल लगभग 3 हजार किन्नरों की संख्या बढ़ रही है। यानी 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की संख्या 137465 थी, जो प्राप्त सर्वेक्षण में इनकी संख्या लगभग 164615 हो गई है। यानी 10 वर्षों में 27150 की वृद्धि हुई है।
आगरा मंडल में सर्वाधिक किन्नर
सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा किन्नरों की संख्या आगरा मंडल में 14915 है। बनारस मण्डल में 12620, मुरादाबाद मंडल में 9790 है। साथ ही प्रयागराज मंडल में 8808 किन्नर हैं। यह आंकड़े प्रदेश के 20 जिलों में 293 किन्नरों से संपर्क करके प्राप्त किया गया। यह सर्वेक्षण रिपोर्ट अबुल कलाम जन सेवा संस्थान के सचिव नाजिम अंसारी और नई दिल्ली की संस्था इंडो ग्लोबल सोशल सोसायटी की ओर से किया गया।
प्रदेश में सबसे ज्यादा किन्नर हिन्दू धर्म में
सर्वेक्षण के अनुसार यदि धार्मिक आधार पर देखें तो किन्नरों की संख्या 74 प्रतिशत हिन्दू धर्म में, 25 प्रतिशत मुस्लिम और एक प्रतिशत सिख धर्म में है। 27 प्रतिशत किन्नर कक्षा एक से 9 तक, 4 प्रतिशत 10 वीं तक, 3 प्रतिशत 12 वीं और 2 प्रतिशत स्नातक हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 3-10 साल की उम्र में 29 प्रतिशत किन्नर, 11-15 की उम्र में 40 प्रतिशत और 16-22 की उम्र में 30 प्रतिशत किन्नर घर छोड़ देते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक 57 प्रतिशत लोग किन्नरों को बुरे नामों से बुलाते हैं। 64 प्रतिशत पुलिस के लोग परेशान करते हैं। नाजिम अंसारी, सचिव अबुल कलाम आजाद जनसेवा संस्थान कहते हैं कि किन्नरों की स्थिति-परिस्थिति को समाज और सरकार के संज्ञान में लाने के लिए एक दशक से निरंतर प्रयास चल रहा है। किन्नरों के जीवन में खुशहाली आए, इसके लिए किन्नर वेलफेयर बोर्ड बनाने के मांग की गई है।