जाने दुनिया में किन देशों में हुई बूस्टर डोज की शुरुआत, पढ़े पूरी खबर
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान के प्रसार के बीच दुनिया के 35 मुल्क वैक्सीन की बूस्टर डोज दे रहे हैं। दुनिया की प्रमुख वैक्सीन कंपनियां ओमिक्रान के खिलाफ 70 से 80 फीसद तक कारगर होने का दावा कर रही हैं। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया है कि 10 जनवरी से देश के हेल्थ वर्कर्स समेत करीब तीन करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रिकाशन डोज दिया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि दुनिया में किन देशों ने बूस्टर डोज की शुरुआत कर दी है ? इस मामले में चीन और अमेरिका की क्या स्थिति है ? इसके साथ यह भी जानेंगे कि बूस्टर डोज कितनी प्रभावशाली है और इस मामले में दुनिया के प्रमुख देशों की वैक्सीन कंपनियों की क्या राय है ?
बूस्टर डोज के मामले में चिली सबसे आगे
आवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक बूस्टर शाट के मामले में चिली सबसे आगे हैं। चिली में 53 फीसद से अधिक लोगों को बूस्टर डोज दिया जा चुका है। इस मामले में ब्रिटेन दूसरे स्थान पर है। ब्रिटेन में 47 फीसद से अधिक लोगों को यह डोज दी जा चुकी है। बूस्टर डोज के मामले में तीसरे नंबर पर जर्मनी और चौथे नंबर पर फ्रांस है। जर्मनी में करीब 35 फीसद और फ्रांस में 29 फीसद को यह डोज दी जा चुकी है। इटली में 27 फीसद से अधिक लोगों को बूस्टर डोज दिया जा चुका है। वह छठे स्थान पर है। अमेरिका में 19 फीसद से अधिक लोगों को यह डोज मिल चुकी है। चीन में आठ फीसद और रूस में चार फीसद लोगों को यह डोज दी जा चुकी है। दुनिया में महज छह फीसद लोगों को बूस्टर डोज दी गई है।
किन प्रमुख देशों में दिया जा रहा है बूस्टर डोज
आवर वर्ल्ड इन डाटा के अनुसार दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है। इसकी शुरुआत अगस्त में इजरायल से हुई थी। इसमें अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रिया, ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, आयरलैंड, इटली, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, इजरायल, बेल्जियम, बुल्गारिया, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, तुर्की, चिली, चीन, दक्षिण कोरिया शामिल है। 10 जनवरी को भारत भी इस सूची में शामिल हो जाएगा।
ओमिक्रान पर कितना प्रभावकारी है बूस्टर डोज
- जहां तक सवाल इस बूस्टर डोज के प्रभाव का है तो प्रत्येक देश में इसकी अलग-अलग राय है। अमेरिका में ओमिक्रान वैरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर फाइजर और माडर्ना ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रान के खिलाफ भी प्रभावशाली है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबाडी लेवल में कमी आने लगती है।इंग्लैंड में फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर कहना है कि दूसरा डोज लगवाने के दो हफ्ते तक वैक्सीन इन्फेक्शन को रोकने में 90 फीसद कारगर है, लेकिन पांच महीने बाद केवल 70 फीसद ही कारगर रह जाती है। माडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी समय के साथ कम होती गई थी। ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के अनुसार कोरोना की बूस्टर डोज ओमिक्रान वैरिएंट के सिम्प्टोमेटिक इन्फेक्शन के खिलाफ 70 से 75 फीसद तक सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, यह अध्ययन अभी शुरुआती चरण में है। लिहाजा आने वाले दिनों में ज्यादा डेटा मिलने पर इसके नतीजों में बदलाव हो सकता है।इजरायल में बूस्टर डोज देने की शुरुआत इजरायल से हुई थी। यहां अगस्त से ही नागरिकों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है। अक्टूबर में इजरायल की सबसे बड़ी हेल्थ मेंटेनेंस आर्गेनाइजेशन क्लालिट हेल्थ सर्विस ने स्टडी कराई थी। इसमें बूस्टर डोज लेने वाले 7.28 लाख लोगों का अध्ययन किया गया था। इसमें सामने आया दो डोज की तुलना में गंभीर संक्रमणों से बचाव में बूस्टर डोज 92 फीसद प्रभावी है।चीन की बायोटेक कंपनी सीनोवैक ने बूस्टर डोज को लेकर एक स्टडी पब्लिश की है। इसमें सामने आया कि ओमिक्रान के खिलाफ तीसरा वैक्सीन डोज 94 फीसद प्रभावशाली है। कंपनी ने कुल 68 लोगों पर स्टडी की थी, जिसमें से 20 ने सिर्फ दो डोज लिए थे, जबकि 48 ने तीन डोज लिए थे। पहले समूह के सात लोगों में और दूसरे समूह के 45 लोगों में ओमिक्रान के खिलाफ एंटीबाडी डेवलप हुई।अमेरिका में ओमिक्रान वैरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर फाइजर और माडर्ना ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रान के खिलाफ भी प्रभावशाली है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबाडी लेवल में कमी आने लगती है।
बूस्टर डोज की जरूरत क्यों
कोरोना वायरस वैक्सीन का छह महीनों में दूसरी डोज का असर समाप्त हो जाता है या कम होने लगता है। डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रान तीन गुना ज्यादा संक्रामक है। कोरोना संक्रमित होने की सबसे ज्यादा आशंका वालों को दिए जाने वाले बूस्टर डोज को प्रिकाशन डोज कहते हैं। दूसरे डोज और प्रिकाशनरी डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप रह सकता है।