निरंजनी अखाड़ा ने बढ़ाया किन्नरों की तरफ हाथ, लक्ष्मीनारायण से मिले स्वामी आनंद गिरि

कुंभनगर : जूना अखाड़ा के किन्नर संन्यासियों को खुद जोडऩे का निर्णय लेने के बाद दूसरे अखाड़ों का झुकाव उनकी ओर होने लगा है। इधर निरंजनी अखाड़ा ने किन्नर संन्यासियों को खुद से जोडऩे का हाथ बढ़ाया है। अखाड़ा के योगगुरु स्वामी आनंद गिरि किन्नर संन्यासियों से मिलने उनके शिविर गए। आनंद गिरि ने उन्हें अपने अखाड़ा से जुडऩे का प्रस्ताव रखा। जबकि निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी भी किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा से जुडऩे का प्रस्ताव दे चुके हैं।

14वें अखाड़ा के रूप में मान्यता की मांग की

किन्नर अखाड़ा 14वें अखाड़ा के रूप में मान्यता चाहता है, लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उस पर तैयार नहीं है। जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की मध्यस्ता करने पर जूना अखाड़ा किन्नर संन्यासियों को जोडऩे के लिए तैयार हो गया। दोनों पक्ष की बात लिखा-पढ़ी तक पहुंच चुकी है। किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने जूना अखाड़ा से जुडऩे का बयान भी जारी कर दिया। इसके बीच निरंजनी अखाड़ा भी उन्हें खुद से जोडऩे को तैयार हो गया।

अखाड़ा की मान्यता मिलना आसान नहीं

स्वामी आनंद गिरि ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी व दूसरे किन्नर संन्यासियों से मिलने की बात स्वीकार किया। बताया कि किन्नर स्वतंत्र अखाड़ा बनाने की मांग कर रहे हैं, जो असंभव है। मैंने उन्हें समझाया है कि पहले आप संत समाज के साथ जुड़कर धर्महित में कुछ काम करो, आपको पूरा सम्मान, सुरक्षा व सुविधा मिलेगी। रही बात अखाड़ा कि तो उसकी मान्यता मिलना आसान नहीं है, क्योंकि यह प्राचीन परंपरा है जिसे कोई नहीं तोड़ सकता।

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