सरकार चाहती है लेस-कैश इकोनॉमी, लेकिन 17 फीसद बढ़ गया नकदी का चलन
सरकार ने इकोनॉमी को लेस-कैश बनाने के इरादे से नोटबंदी की थी, लेकिन नकदी का चलन घटने के बजाय काफी बढ़ गया है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मार्च 2019 के अंत में चलन में बैंक नोटों का मूल्य बढ़कर 21 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो नोटबंदी के ठीक बाद मार्च 2017 में 13 लाख करोड़ रुपये से कुछ ही ज्यादा था। इस तरह, महज दो वर्षो में चलन में आए बैंक नोटों का मूल्य 61 परसेंट बढ़ा है। करेंसी नोट को जल्द खराब होने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक परीक्षण के तौर पर 100 रुपये के वार्निश्ड बैंक नोट शुरू करने जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने बुधवार अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 जारी की, जिसमें चलन में करेंसी नोट का ब्योरा दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2018 के अंत में चलन में बैंक नोटों का कुल मूल्य 18.03 लाख करोड़ रुपये था जो 17.0 परसेंट बढ़कर मार्च, 2019 के अंत में 21.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है। ज्ञात हो, मोदी सरकार ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी का फैसला करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने और 500 रुपये तथा दो हजार रुपये के नए नोट जारी करने का फैसला किया था। सरकार ने यह फैसला अर्थव्यवस्था को लेस-कैश बनाने यानी रोजमर्रा की जरूरतों में नोटों का चलन कम करने के इरादे से किया था।
नोटबंदी के तत्काल बाद इसमें कमी भी आई और चलन में बैंक नोट का मूल्य घटकर मार्च 2017 के अंत में 13.1 लाख करोड़ रुपये रह गया, लेकिन उसके बाद इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।आरबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च, 2019 के अंत में चलन में बैंक नोटों का जो मूल्य है उसमें 2,000 रुपये के नोट ही हिस्सेदारी घटकर 31.1 परसेंट रह गई है, जबकि मार्च 2018 के अंत में यह 37.3 परसेंट और मार्च 2017 के अंत में 50.2 परसेंट थी।
वर्ष 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के 350 करोड़ (संख्या) नए नोट छपवाए थे। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा घटकर 15.1 करोड़ और 2018-19 में मात्र 4.7 करोड़ रह गया है। हालांकि 500 रुपये के नये नोट की छपाई बढ़ाई गई है। वर्ष 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 रुपये के 726 करोड़ नए नोट छपवाए थे, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 969 करोड़ और 2018-19 में 1,146 करोड़ पहुंच गया।