क्यों होता है मानसून सिस्टाइटिस का खतरा…
जब मूत्राशय में संक्रमण हो जाता है, तब वह सिस्टाइटिस कहलाता है। सामान्यत: मानसून में प्यास भी कम लगती है क्योंकि शरीर से कम पानी अवशोषित होता है। इसके परिणामस्वरूप इस मौसम में पुरुषों व स्त्रियों को यूरीनरी ब्लैडर में सिस्टाइटिस का संक्रमण हो जाता है।
मानसून में लोग अक्सर कम पानी पीते हैं, जिसके कारण सिस्टाइटिस होने का खतरा रहता है। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में सिस्टाइटिस का खतरा आठ गुना अधिक होता है। सिस्टाइटिस शरीर में तरलता की कमी से होती है।
सिस्टाइटिस के लक्षण :
1. मूत्र त्याग के समय दर्द व जलन।
2. बार-बार एवं अचानक मूत्र त्याग की आवश्यकता अनुभव होना परन्तु मूत्र की मात्रा कम निकलना अथवा न निकलना।
3. पेट का निचला भाग नाजुक लगना एवं कमर में दर्द।
4. तेज बुखार