आज है ज्येष्ठ पूर्णिमा, पति की लंबी उम्र के लिए आज महिलाएं रखती है व्रत, जानें पूरी कथा
हिन्दू धर्म में यूं तो हर पर्व का अपना अलग महत्व होता है. लेकिन ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का महत्व सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. कहा जाता है कि अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाने के लिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य, तीर्थ-स्थान और व्रत करने से हमारे पापों का नाश होता है.
इस बार यह पर्व 5 जून को पूर्णिमा के दिन मनाया जा रहा है. खास बात यह है कि इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रग्रहण भी लग रहा है.ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर चंद्र ग्रहण आज की रात 11 बजे के बाद से लगकर 6 जून की रात 2 बचे तक रहेगा.
कहा जाता है कि महिलाएं आज के दिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं. महिलाएं इस दिन भगवान शंकर और विष्णु की पूजा करती हैं. व्रत रखने के लिए महिलाएं वट वृक्ष यानी बरगद के नीचे बैठ कर पूजा आराधना करती हैं. इस पूजा के पूरा होने के बाद सभी महिलाएं सावित्री की कथा सुनाती है. अंत में महिलाएं दान-दक्षिणा करते हुए अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त-
वट सावित्री पूर्णिमा शुक्रवार,5 जून
पूर्णिमा तिथि शुरु – जून 5,2020 को 03:17:47 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जून 6,2020 को 24:44 बजे
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की शुभ विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने आसपास के क्षेत्र में लगे वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा करती हैं. पूजा करने के लिए एक बांस की टोकरी मे 7 तरह के अनाज को रखा जाता है. जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढ़का जाता है. वहीं दूसरी टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा को रखते हैं. जिसके साथ धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम, मौली आदि पूजा सामग्री भी रखते हैं.
इसके बाद वट वृक्ष को जल, अक्षत, कुमकुम लगाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद महिलाएं लाल रंग की मौली से वृक्ष के सात बार चक्कर लगाते हुए भगवान का ध्यान करती हैं. इस पूजन प्रक्रिया के बाद सभी महिलाएं सावित्री की कथा सुनती हैं और अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा देते हुए अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.