देश के स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही: प्रांत प्रचारक रमेश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने अमृत महोत्सव के आयोजन के क्रम में आज कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है |पत्रकारों की लेखनी ने राष्ट्रभाव का जागरण करने के साथ-साथ आंदोलन को दिशा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था| क्रांतिकारी अपने प्राणों की बाजी लगाकर समाचार पत्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा कर जन-जन तक देश में चल रहे आंदोलनों से परिचित कराने का कार्य करते थे| उन्होंने कहा कि पत्रकार की लेखनी में समाज की दिशा और दशा बदलने की शक्ति है| राष्ट्रभक्त पत्रकारों ने देश के स्वाधीनता आंदोलन को धार देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है| देश उसे कभी भी भुला नहीं सकता है| उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव का आयोजन स्वत्व के जागरण का है| उन्होंने कहा कि स्वाधीनता तो प्राप्त हो गई किंतु स्वतंत्रता नहीं प्राप्त हुई|

इंडिया को भारत बनाना ही स्वतंत्रता है, आज देश में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, यह स्वतंत्रता है| उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का उद्घोष क्रांति का बिगुल फूंकने माला और राष्ट्रभक्त का ज्वार उत्पन्न करने वाला मंत्र है| 1923 में कांग्रेस के काकीनाडा अधिवेशन में मौलाना जौहर अली उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे उन्होंने वंदे मातरम गायन का विरोध किया था| तब वंदे मातरम गायन के लिए आए हुए पलुस्कर बंधुओं ने कहा कि वंदे मातरम का गायन तो हम करेंगे ही |इस पर मौलाना जौहर अली ने अधिवेशन का मंच छोड़ दिया| लेकिन वहां वंदे मातरम का गायन हुआ और जब जौहर अली फिर से आए तो उन्होंने कहा कि अब कांग्रेश के मंच पर वंदे मातरम का गायन नहीं होगा| तभी से कांग्रेस के अधिवेशन में वंदे मातरम का गायन नहीं हुआ| यह सामान्य घटना नहीं थी |आज पूरा देश एक स्वर में वंदे मातरम का गायन करने के प्रबल राष्ट्रभक्ति के ज्वार के साथ खड़ा है,यह स्वतंत्रता का अनुभव है| देश एक लंबे कालखंड तक आक्रांता ओं से संघर्ष करता रहा है |अनेकों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी है |समाज के प्रत्येक वर्ग के संगठित शक्ति और सामर्थ्य के फल स्वरुप देश को स्वाधीनता प्राप्त हुई| लेकिन वामपंथी इतिहासकारों के सुनियोजित षड्यंत्र के चलते स्वाधीनता का श्रेय एक परिवार और एक व्यक्ति को देने का प्रयास किया गया |

देश को वास्तविक खतरा मैकाले पुत्रों से हैं,जो देश के स्वाभिमान को दबाने का प्रयास कर रहे हैं |भारतकही खोया हुआ नहीं था,लेकिन इतिहास में ऐसा लिखा गया कि वास्कोडीगामा ने भारत की खोज की| तो उसके पहले का भारत क्या था,कहा था|यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था भारत के स्वाभिमान को समाप्त करने के लिए |आने वाली पीढ़ी अपने देश और संस्कृति पर गौरव न कर सके और वह हमेशा अपने आप को दबा हुआ महसूस करें ऐसा एक षड्यंत्र के तहत इतिहास को तोड़ मडोरकर लिखा गया |श्रीराम और श्रीकृष्ण का भारत अनादि काल से सृष्टि की रचना के समय से ही विद्यमान है और पूरे विश्व को दिशा दे रहा है|अमृत महोत्सव का महापर्व देश के गौरवशाली इतिहास का स्मरण करने के साथ-साथ उन वीर स्वाधीनता संग्राम सेनानियो को भावांजलि अर्पित करने का पर्व है जिन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगाकर भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया| भारत मृत्युंजय और कालजयी राष्ट्र है |इसी क्रम में 19 दिसंबर को दिन में 9:30 बजे से राजकीय इंटर कॉलेज,प्रतापगढ़ के मैदान में सामूहिक वंदे मातरम गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है| जिसमें हजारों स्वरों से वंदे मातरम की गूंज उठेगी| कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर का उद्बोधन होगा| इस अवसर पर रमेश त्रिपाठी, प्रतोष कुमार, डॉक्टर सौरभ पांडेय,डॉक्टर पीयूष कांत शर्माऔर प्रभाशंकर पांडेय उपस्थित रहे|

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