दिल्ली दंगों संबंधित मामलों पर पक्ष रखने के लिए वकील की नियुक्ति को लेकर आप सरकार उपराज्यपाल आए आमने-सामने

 किसान विरोध और दिल्ली दंगों संबंधित मामलों पर पक्ष रखने के लिए वकील की नियुक्ति को लेकर एक बार आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने हैं। शुक्रवार को मामले में सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल अनिल बैजल की ओर से नियुक्त विशेष लोक अभियोजकों के बचाव में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि अत्यधिक संवेदनशील प्रकृति के होने के कारण मामले राष्ट्रीय महत्व के हैं। केंद्र सरकार और दिल्ली एलजी की ओर से पेश कामन काउंटर हलफनामे में पक्ष रखते हुए कहा गया है कि दिल्ली दंगों और किसान आंदोलन के मालों में सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा की, जिससे देश की कानून और व्यवस्था में भरोसे का दोबारा स्‍थापित करने के लिए एफआईआर के कुशल, निष्पक्ष और न्यायसंगत अभियोजन की जरूरत है।

यह है पूरा मामला

दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली दंगा मामलों और किसान आंदोलन को लेकर वकील की नियुक्ति को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली सरकार का तर्क है कि 2021 में 26 जनवरी को लाल किला हिंसा और दिल्ली दंगाों से जुड़े मामलों में पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को उपराज्यपाल द्वारा विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने से जांच एजेंसी और सरकारी पक्ष के बीच ‘कोई अंतर’ नहीं रह जाएगा। ये निर्णय पूरी तरह गैरकानूनी है। पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि मामला बहुत जरूरी है, लेकिन प्रतिवादियों उपराज्यपाल और केंद्र ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। वहीं, इस पर शुक्रवार को केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दोनों ही मामले अत्यधिक संवेदनशील प्रकृति के होने के कारण मामले राष्ट्रीय महत्व के हैं।

उधर, शुक्रवार को ही दिल्ली पुलिस ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा के संबंध में सभी 758 प्राथमिकी के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर की है।

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