यूपी के अमरोहा में बिना ड्यूटी के वेतन लेने के मामले में BSA ने इतने शिक्षकों को किया बर्खास्त
यूपी के अमरोहा में बगैर ड्यूटी वेतन ले रहे एक मामले के खुलासे के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अनुशासनहीनता के आरोप में नौ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। दरअसल, चार साल से बिना ड्यूटी वेतन लेने की आरोपी शिक्षिका के मामले का खुलासा हुआ तो डीएम ने बीएसए के खिलाफ जांच के आदेश दिए। इस पर बीएसए ने भी एबीएसए, प्रधानाध्यापिका, आरोपी शिक्षिका के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए। साथ ही लंबे समय से स्कूल न पहुंचने वाले नौ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। बीएसए चंद्रशेखर ने प्रधानाध्यापिका को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही आरोपी शिक्षिका मीनाक्षी के वेतन आहरण पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि यूपी सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों को तैनाती स्थल पर ही रात में रुकने का फरमान सुनाया है। सरकार ने दो टूक कह दिया है कि यदि तैनाती स्थल पर सरकारी आवास नहीं है तो किराए पर मकान ले कर रहें। तैनाती स्थल से घर भागने की फिराक में रहने वाले अधिकारी-कर्मचारी रोजाना स्कूल-दफ्तर में अनुपस्थित रहते हैं। मामले का खुलासा हुआ जब जोया ब्लाक के केशोपुर प्राथमिक विद्यालय में तैनात प्रधान अध्यापिका फाजिला नुजहत 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो गई थीं। उन्हें कार्यभार सहायक अध्यापिका मीनाक्षी को सौपना था, लेकिन मीनाक्षी के लगातार स्कूल से गैरहाजिर रहने की वजह से वह कार्यभार नहीं सौंप पा रही थीं।
आरोप है कि मीनाक्षी का पति लखनऊ में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का अपने आप को गनर बता सबको हडकाता रहा है, जिस वजह से मीनाक्षी पिछले चार साल से कभी-कभार ही स्कूल आई है हालांकि वह लगातार लखनऊ में रहकर वेतन ले रही है। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी मीनाक्षी विद्यालय का चार्ज लेने नहीं आ रही है, जिससे कार्यभार से मुक्त हो सकें। सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका की शिकायत मीडिया में उछलने के बाद बीएसए चंद्रशेखर हरकत में आ गए। उन्होंने सहायक अध्यापिका मीनाक्षी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया है। साथ ही चार साल में अबतक तैनात रहे संबंधित बीईओ भी जवाब मांगा है।
बीएसए के मुताबिक जब शिक्षिका स्कूल नहीं आ रही है, तो उसका वेतन कैसे निकल रहा है। वहीं बीएसए अब, सेवानिवृत हुई फाजिला नुजहत की कार्यशैली को संदिग्ध मान रहे है। बीएसए का कहना है कि प्रधानाध्यापिका 27 दिन पहले सेवानिवृत्त हुई हैं। जब उन्हें कार्यभार से मुक्त होने की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है। जबकि उन्होंने मीनाक्षी के स्कूल नहीं आने की चार साल में एक भी शिकायत दर्ज नहीं कराई। इससे साफ है कि मीनाक्षी और फाजिला नुजहत के बीच तालमेल ठीक चल रहा था।