महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर और हिंदुत्व के मुद्दे पर शुरू हुई सियासत का रुख अब अयोध्या की ओर….
महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर और हिंदुत्व के मुद्दे पर शुरू हुई सियासत का रुख अब अयोध्या हो गया है। दरअसल, पांच जून को महाराष्ट्र की राजनीति में लाउडस्पीकर मुद्दे की शुरुआत करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे अयोध्या आ रहे हैं। वो यहां पर राम लला के दर्शन करेंगे और आशीर्वाद लेंगे। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी इसके कुछ दिन बाद 10 जून को अयोध्या जाने वाले हैं। इसको देखते हुए महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि यूपी में भी राजनीति जोरों पर हो सकती है।
शिव सेना नेता संजय राउत ने बताया है कि आदित्य के अयोध्या जाने के पीछे किसी तरह की कोई राजनीति नहीं है बल्कि हमारी श्रद्धा है। उन्होंने ये भी कहा है कि देशभर के शिव सैनिक इस दिन अयोध्या में एकत्रित होंगे और उद्धव ठाकरे का स्वागत करेंगे। आदित्य ठाकरे के साथ कई शिवसैनिक भी अयोध्या जा रहे हैं। संजय राउत का कहना है कि अयोध्या में आदित्य के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। महाराष्ट्र से यूपी में अयोध्या की राह पकड़ने वाले इन दोनों ही नेताओं का कहना है कि वो राम लला से आशीर्वाद लेने के लिए ही राम जन्म भूमि जा रहे हैं।
अपने इस दौरे की जानकारी देते हुए राज ठाकरे ने भी इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की वजह से आज उस जगह पर राम मंदिर निर्माण संभव हो सका है। एमएनएस ने इसकी तैयारी भी जोर-शोर से शुरू कर दी है। मुंबई में जगह-जगह समर्थकों के लिए चलो अयोध्या के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा मनसे को ज्वाइन करने की भी अपील लोगों से की जा रही है। ऐसी ही अपील उत्तर प्रदेश में भी की जा रही है।
बता दें कि इससे पहले राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर विवाद में बाल ठाकरे का एक पुराना वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था, जिसमें वे लाउडस्पीकर विवाद को उठाते दिखाई दे रहे थे। इसमें वो मस्जिदों पर लाउडस्पीकरों के खिलाफ बोलते दिखाई दे रहे थे। इससे पहले राज ने खुद को हिंदुत्ववादी बताया था। महाराष्ट्र में इस मुद्दे को गरमाने के लिए भीराजठाकरे ने कई बयान दिए। पिछले दिनों उन्होंने पुणे के पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि सभी मस्जिदों के मौलवी ये सुनिश्चित करें कि अजान लाउडस्पीकर पर न हो। इसके लिए वो सभी लिखित में अपनी सहमति दें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर आगे जो होगा उसके लिए मनसे जिम्मेदार नहीं होगी।