पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ा रुझान…
इन दिनों दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहन की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल हैं। पारंपरिक कार की तुलना में न सिर्फ शून्य उत्सर्जन करते हैं, बल्कि इन्हें चलाने का लागत भी कम पड़ती है। इतना ही नहीं, आइसीई (इंटरनल कंबशन इंजन) पावर्ड माडल के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों का रखरखाव भी आसान होता है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में कम कंपोनेंट्स (घटक) होते हैं। हालांकि यह किसी से छिपा नहीं है कि पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों से कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन होने के कारण ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक इंजन अभी भी नये जमाने की तकनीक है। यही वजह है कि कई बार संभावित खरीदार इसे लेकर दुविधा की स्थिति में होते हैं कि इसे खरीदना सही होगा या नहीं?
कम पड़ती है चलाने की लागत: आमतौर पर इलेक्ट्रिक कार को चलाने की लागत 1.2-1.4 रुपये प्रति किमी. होती है, जबकि पेट्रोल से चलाने की लागत 9-10 रुपये प्रति किमी. या ज्यादा होती है। यदि आप लंबे समय में जैसे कि छह से आठ वर्ष के दौरान बैटरी चार्ज पर खर्च की बात करें, तो यह एक लाख रुपये के आसपास होती है। दूसरी ओर एक सामान्य ईंधन से चलने वाली कार को समान अवधि में लगभग 4.5 लाख रुपये के पेट्रोल/डीजल की आवश्यकता होगी। सीधे शब्दों में कहें, तो इलेक्ट्रिक कार लंबे समय में अधिक किफायती विकल्प हैं। फिलहाल इसकी कीमत अधिक है।
रखरखाव की कम जरूरत: पेट्रोल-डीजल कार की तुलना में इलेक्ट्रिक कार में कम कंपोनेंट होते हैं। इसलिए सर्विस सेंटर जाने की जरूरत भी कम पड़ती है। हो सकता है अभी आपके लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदना महंगा हो, लेकिन रखरखाव और सर्विसिंग की लागत पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। आइसीई कार में गियर, इंजन, खराब हो चुके पुर्जों को बदलने के साथ मैकेनिकल हिस्सों के लिए रखरखाव की आवश्यकता होती है। मगर ईवी में कम पुर्जों की वजह से टूट-फूट की आशंका कम होती है। इसका मतलब है कि कार चेकअप के लिए सर्विस सेंटर में कम ले जाना होगा। चेकअप की बात करें तो, ईवी में इलेक्ट्रिक मोटर को कभी-कभी ब्रेक फ्लुइड टाप-अप के साथ बैटरी की हेल्थ को जांचने की जरूरत हो सकती है।
सहज होता है प्रदर्शन: इलेक्ट्रिक वाहन ड्राइविंग के मामले में बेहतर एक्सपीरियंस प्रदान करते हैं। बैटरी से ऊर्जा मोटरों तक पहुंचाई जाती है। इसके विपरीत आइसीई कारों में ऊर्जा इंजन के माध्यम से गियर, क्लच आदि तक पहुंचाई जाती है। इस तरह इलेक्ट्रिक कार जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हैं। ईवी की रेंज बैटरी पर निर्भर करती है, जो अलग-अलग गाड़ियों के लिए भिन्न हो सकती है। हालांकि अभी ईवी चार्जिंग स्टेशन उतने अधिक नहीं हैं, जितने कि पेट्रोल पंप हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक कार की बैटरी को चार्ज करने में अभी लंबा समय लगता है। ऐसा पारंपरिक कारों के साथ नहीं है। लंबी यात्राओं के लिए अभी भी पेट्रोल या डीजल वाहन बेहतर विकल्प हैं, जबकि शहर में दैनिक आवागमन के लिए इलेक्ट्रिक कार विकल्प के तौर पर उभर रही है।
ईवी का जीवन काल: देश में लगातार बढ़ते प्रदूषण से लड़ने के लिए सरकार आइसीई-आधारित कारों को 15 साल बाद खत्म करने की सलाह दे रही है। इस अवधि के बाद ऐसी कारें ज्यादा प्रदूषण फैलाने लगती है। दूसरी ओर इलेक्ट्रिक गाड़ियों में मुख्य कंपोनेंट बैटरी ही है। अधिकांश इलेक्ट्रिक कार निर्माता बैटरी पर व्यापक वारंटी (लगभग छह-आठ वर्ष) प्रदान करते हैं। आमतौर पर इसे 10-12 साल बाद ही रिप्लेस करने की जरूरत पड़ती है, जब तक कि यह पूरी तरह से खराब न हो जाए या फिर अपेक्षित रेंज और परफार्मेंस प्रदान न करे। वर्तमान परिदृश्य में अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन लगभग 10-12 वर्षों तक चलेंगे। इसके बाद, बैटरी बदलने की आवश्यकता होगी। भारत में ईवी बैटरी की कीमत इस समय करीब 15,000-20,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच है। मान लीजिए कि एक इलेक्ट्रिक कार में 30 केडब्ल्यूएच की बैटरी है, तो बैटरी बदलने पर आपको लगभग साढ़े चार से छह लाख रुपये का खर्च आएगा। हालांकि आने वाले वर्षों में उपयोग बढ़ने पर लागत में कमी आने की संभावना है।
ईवी पर केंद्र सरकार की सब्सिडी: राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देती है। केंद्र सरकार फैम-2 के तहत हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों पर यह पेशकश करती है।
– इलेक्ट्रिक स्कूटर/बाइक पर 15,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच बैटरी क्षमता (वाहन लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत) सब्सिडी मिलती है।
– चार पहिया वाहनों या इलेक्ट्रिक कारों पर 10,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच बैटरी क्षमता (अधिकतम 1.5 लाख रुपये) का प्रत्यक्ष प्रोत्साहन मिलता है। वहीं प्रति ई4डब्ल्यू (प्लग-इन हाइब्रिड, मजबूत हाइब्रिड) 13,000 रुपये तक सब्सिडी मिलती है यानी वाहन लागत के 20 प्रतिशत तक प्रोत्साहन मिलता है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय की योजना भी है, जो सभी ईवी पर जीएसटी की कम दर 5 प्रतिशत और पहली बार खरीदारों के लिए 1.5 लाख रुपये तक के कर लाभ की पेशकश करती है। केंद्र सरकार द्वारा ईवी पर सब्सिडी/प्रोत्साहन के अलावा, राज्य सरकारों द्वारा मिलने वाली सब्सिडी अलग है। हालांकि यह केवल पहले 10 लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और 55,000 इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर्स पर लागू होती है, जिनकी कीमत क्रमशः 1.5 लाख रुपये और 15 लाख रुपये से कम है।
80ईईबी के तहत कर लाभ की शर्तें: जिन उपभोक्ताओं के पास पहले से कोई ईवी नहीं है, वे धारा 80ईईबी के तहत ईवी लोन पर टैक्स लाभ का फायदा उठा सकते हैं। ध्यान रहे कि केवल लोन पर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ही टैक्स में राहत मिलेगी। लोन केवल फाइनेंसिंग एजेंसी, पंजीकृत बैंक या एनबीएफसी से होना चाहिए। टैक्स में राहत सिर्फ इंडिविजुअल्स को मिलेगी, कारोबारियों को नहीं। धारा 80ईईबी के तहत कर राहत का लाभ फाइनेंशियल ईयर 2020-2021 से लिया जा सकता है। आपको बता दें कि एक अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2023 के बीच लिए जाने वाले सभी ईवी लोन के भुगतान पर धारा 80ईईबी के तहत आयकर राहत का लाभ उठाया जा सकता है।
ईवी में प्रमुख कंपोनेंट्स: किसी भी ईवी के लिए बैटरी पैक दिल की तरह होता है। बैटरी पैक ही किसी इलेक्ट्रिक कार की क्रूजिंग रेंज और पावर निर्धारित करता है। इसी से निर्धारित होता है कि एक बार फुल चार्ज करने पर कितनी रेंज मिलेगी। बैटरी पैक को आमतौर पर इलेक्ट्रिक कार के नीचे बड़े फ्लैट पैनल के रूप में बिछाया जाता है। बैटरी पैक के अलावा, इलेक्ट्रिक मोटर एक और बहुत महत्वपूर्ण कंपोनेंट है। इलेक्ट्रिक मोटर बैटरी से ऊर्जा खींचती है और यह एसी पावर से चलता है। वहीं पावर कंट्रोल यूनिट मोटर के लिए बैटरी के डीसी पावर को एसी में बदल देता है। जिस इलेक्ट्रिक व्हीकल में जितने ज्यादा मोटर होंगे, उसे उतना ज्यादा पावर मिलेगा और गाड़ी की स्पीड भी उसी पर निर्भर करती है।
एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में अधिकतम चार मोटर का उपयोग किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक मोटर्स को वास्तव में ट्रांसमिशन की आवश्यकता नहीं होती है। जीवाश्म ईंधन वाहनों में मल्टी-स्पीड गियरबाक्स उपलब्ध होते हैं, वहीं इलेक्ट्रिक वाहन डायरेक्ट ट्रांसमिशन सिस्टम के साथ आते हैं। पारंपरिक ट्रांसमिशन सेटअप के बजाय इलेक्ट्रिक कारों में ड्राइव मोड सेलेक्टर होता है। यह उपयोग के मामले में पारंपरिक गियरबाक्स की तुलना में काफी सरल है। ईवी में पावर कंट्रोल यूनिट महत्वपूर्ण पार्ट है, जो बैटरी में स्टोरेज डीसी पावर को एसी पावर में परिवर्तित करता है। इलेक्ट्रिक कारों में चार्जिंग से जुड़े विकल्पों की विस्तृत रेंज मौजूद है। इनमें स्टैंडर्ड होम चार्जर, फास्ट चार्जर आदि शामिल हैं।