परप्रांतीयों को ठुकराने वाले ठाकरे को शिंदे ने ठुकराया

लखनऊ। श्रीसंत गोस्वामी तुलसीदास जी की श्रीरामचरितमानस में लिखी चौपाई ‘करम प्रधान विश्व करि राखा’
‘जो जस करै सो तस फल चाखा’
इस समय महाराष्ट्र की अकड़ू राजनीतिक दल शिवसेना पर यह चौपाई बहुत ही सही चरितार्थ हो रही है। शिवसेना की राजनीति का जन्म ही उग्ररूपी स्वार्थ से हुआ है।
दबंग शिवसैनिकों के दम पर शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे ( मर्मज्ञ अखबार के व्यंगकार-कार्टूनिस्ट ) ने शिवसेना राजनीतिक दल का गठन किया। इन्होंने वह बाला साहब के पिताश्री ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए मराठियों के लिए महाराष्ट्र के दो फांण की मांग रखी। तब महाराष्ट्र से अलग गुजरातियों के लिए गुजरात राज्य का गठन हुआ।
फिर परप्रांतियों के खिलाफ मराठियों को भड़काया।
पहली गाज़ दक्षिण भारतीयों पर गिरी। बाला साहब ठाकरे ने नारा दिया पुंगी बजाओ, लुंगी भगाओ ।
उसके बाद ठाकरे ने उत्तर भारतीयों को भगाने के लिए के लिए नारा दिया आमची मुंबई, मराठी मुंबई (हमारी मुंबई, मराठियों की मुंबई)
आज जब उनके दल में एकनाथ शिंदे नाम के आमदार (विधायक) ने सेंधमारी कर दी तो उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को बड़ी तकलीफ़ हो रही है।
शिंदे शिवसेना के कोई पहले विभीषण नहीं चौथे विभीषण हैं। इससे पहले भी घर के भेदिए छगन भुजबल, नारायण राणे, (राज ठाकरे-सगा मौसेरा व चचेरा भाई) ने आपको भेदा है।
शिवसेना ने कालांतर में जो बीज बोया है। उसी लहलहाती फसल की बयार बह रही है। शिंदे की दी हुई चोट में वह बयार पुरवाई हवा की तरह ठाकरे परिवार को चुभ रही है।
ऐसा ही दर्द परप्रांतीयों ने ठाकरे परिवार के कर्मों से झेला है।
अजी ठाकरे साहब आज जैसे आप भावनात्मक अपील शिंदे से कर रहे हो ऐसी ही अपील कभी परप्रांतीयत भी किया करते थे।
आखिर आपके सीने में अब दर्द क्यों है? तब क्यों नहीं हुआ जब उत्तर भारतीयों की भारतीय रेल परीक्षा एवं साक्षात्कार परिणाम को बाला साहब ठाकरे के कहने पर तत्तकालीन रेल राज्य मंत्री राम नाईक ने घोषित नहीं होने दिया। आज तक वह परिणाम RRB Mumbai की फाइलों में दफन है। लाखों लोग आपकी वजह से आज भी बेरोजगारी झेल रहे हैं। आपकी सत्ता की कुर्सी क्या हिली कि पूरी शिवसेना बौखला गई। ठाकरे साहब जरा सब्र करिए। सत्ता कभी भी स्थाई नहीं होती है।
ठाकरे साहब आपकी जैसी करनी वैसी भरनी

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