आमदनी कम हो तो भी जरूर दाखिल करें ITR, जानें इसके फायदे
नई दिल्ली, असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2022 है। इनकम टैक्स रूल के मुताबिक, भारत में किसी व्यक्ति के लिए टैक्स रिटर्न दाखिल करना तभी अनिवार्य है, जब उसकी कर योग्य आय 500,000 रुपये से अधिक हो। जिन लोगों की आय कम होती है, वे सोचते हैं कि आईटीआर फाइल करना उनके लिए कतई जरूरी नहीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सालाना आय कम होने के बावजूद भी आईटीआर दाखिल करने से बहुत से लाभ हैं। आप कर-योग्य सीमा से कम कमाते हों, फिर भी आपको आईटीआर भरना चाहिए। इस बारे में हमने गाजियाबाद स्थित फर्म संजीव अरोड़ा एंड एसोसिएट्स से जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेंद्र गुप्ता से बातचीत कर उनसे डिटेल जानने की कोशिश की। तो आप भी जानिए, एक्सपर्ट की क्या राय है-
लोन मिलने में होगी सहूलियत
अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से आईटीआर फाइल करता है तो उसे लोन मिलने में बहुत आसानी होती है। आपकी इनकम चाहे टैक्सेबल न भी हो, इसके बावजूद आप हर साल आयकर रिटर्न फाइल करते रहते हैं तो बैंक की नजर में आपकी फाइनेंशियल क्रेडिबिल्टी अच्छी रहती है और बैंक आपको लोन देने से मना नहीं करते।
आसानी से मिलेगा वीजा
अगर आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं या किसी नौकरी करने के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो आपसे अतीत में दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न की जानकारी मांगी जा सकती है। टैक्स रिटर्न फाइलिंग का रिकॉर्ड होने से वीजा अधिकारी आपको एक जिम्मेदार और नियमों का पालन करने वाला नागरिक मानते हैं।
अगर बिजनेस शुरू कर रहे हैं
अगर आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ITR भरना बहुत जरूरी है। इसके आपको अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए पैसों का बंदोबस्त करने में आसानी होगी।
नुकसान की भरपाई
अगर आपको बिजनेस में लॉस हुआ है तो आप आईटीआर फाइल करते समय उसका उल्लेख कर सकते हैं। इससे न केवल क्षतिपूर्ति में मदद मिलती है, बल्कि यह आपके नुकसान को ट्रैक करने के लिए एक दस्तावेज के रूप में भी कार्य करता है। उदाहरण के लिए, अगर आपको बिजनेस में एक साल घाटा हुआ है तो आईटीआर फाइल करते समय इसका जिक्र करें। आगे साल मुनाफा होने पर आप इस नुकसान को उसके जरिए सेटअप कर सकते हैं। इसी तरह अगर एक करदाता जो म्यूचुअल फंड या इक्विटी शेयरों की बिक्री से लाभ कमाता है, वह इसे अतीत में हुए नुकसान के साथ समायोजित कर सकता है।
रिफंड मिलने में नहीं होगी दिक्कत
अगर किसी कंपनी ने किसी लेनदेन से टीडीएस काटा हुआ है और आप आईटीआर नहीं फाइल करते हैं तो आपको इसका रिफंड नहीं मिलेगा। आईटीआर फाइल करने से आपको इसके लिए रिफंड मिल जाएगा। इसके अलावा आपकी इनकम भले ही टैक्सेबल न हो, लेकिन जितनी इनकम आप आईटीआर में शो करते हैं, वह आपकी लीगल इनकम बनती चली जाती है। इससे भविष्य में अगर आपको नेट-वर्थ सेर्टिफिकेट की जरूरत होगी तो आप आईटीआर फाइलिंग के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि यह आपकी कैपिटल को इंक्रीज कर रहा है।