यहाँ जानिए राजू श्रीवास्तव की दिलचस्प प्रेम कहानी के बारे में
आज हम आपको राजू श्रीवास्तव की दिलचस्प प्रेम कहानी बताने जा रहे
राजू श्रीवास्तव को एंजियोप्लास्टी हुई और एक सूत्र ने एएनआई को बताया कि राजू इलाज पर रिस्पॉन्ड कर रहे हैं। दरअसल बुधवार सुबह वर्कआउट के दौरान राजू को दिल का दौरा पड़ा। कथित तौर पर वह ट्रेडमिल पर दौड़ रहे थे जब उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की।
काॅमेडियन और एक्टर राजू श्रीवास्तव को बुधवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राजू को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। बता दें कि जिम में वर्कआउट के दौरान राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा था। फिलहाल अब उनकी हालत में काफी सुधार है।
इस खबर को सुनकर अब राजू के परिवार और फैंस ने राहत की सांस ली है, लेकिन अभी भी उन्हें हाॅस्पिटल में पूरी निगरानी में रखा गया है। राजू काॅमेडी के साथ-साथ अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी खूब सुर्खियों में रहते आये हैं। उनकी लव स्टोरी किसी फिल्मी लव स्टोरी से कम नहीं है। अपने प्यार को पाने के लिए राजू ने 12 सालों तक पापड़ बेले थे, तब जाकर उन्हें अपनी मंजिल मिली। आज हम आपको राजू श्रीवास्तव की दिलचस्प प्रेम कहानी बताने जा रहे हैं।
12 सालों तक प्यार पाने के लिए पागल रहे ‘गजोधर भैय्या‘
कानपुर के बाबूपुरवा के रहने वाले कनपुरिया काॅमेडियन का असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव है। भाई की शादी में उनको भी उनका प्यार मिल गया। दरअसल, राजू के बड़े भाई की शादी फतेहपुर में तय हुई थी और राजू कानपुर से बारात लेकर गए थे। बस वहीं पर ही पहली बार राजू की नजरें शिखा से टकराई थीं और एक्टर को पहली नजर वाला प्यार हो गया था। बस तभी राजू ने तय कर लिया था कि शादी करेंगे तो शिखा से ही
शिखा के बारे में की छानबीन
राजू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने शिखा की छानबीन की तो पता चला, वो भाभी के चाचा की बेटी हैं। फिर क्या था। एक एक करके उन्होंने शिखा के बारे में सारी बातें पता करना शुरू कर दिया। शिखा के घर के बारे में पता किया तो मालूम हुआ कि वह इटावा में रहती हैं। इसके बाद उन्होंने सबसे पहले किसी तरह से उनके भाइयों को पटाया। फिर कोई ना कोई बहाना लेकर इटावा जाने लगे, मगर शिखा से कुछ भी कहने की उनकी हिम्मत नहीं होती थी
किस्मत आजमाने के लिए पहुंचे मायानगरी
प्यार तक तो ठीक था, लेकिन शादी करने और जीवन चलाने के लिए उन्हें कुछ ना कुछ करना था। इसके बाद वो अपनी किस्मत आजमाने के लिए 1982 में मुंबई आ गए। यहां पर उन्होंने तगड़ा स्ट्रगल किया। इसके बाद जब लाइफ में थोड़ा-बहुत स्टैंड किया, तब उन्हें लगा कि अब वक्त आ गया है कि उन्हें शादी कर लेनी चाहिए।राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि वो शिखा से चिट्ठी के जरिए संपर्क करने की कशिश करते थे, लेकिन कभी दिल की बात सीधे नहीं कर सके। साथ ही उन्होंने ये भी पता किया कि कहीं शिखा की शादी कहीं फिक्स तो नहीं हो गई। शिखा ने कभी खुलकर कोई जवाब नहीं दिया। फिर एक दिन अपने घरवालों के जरिये शिखा के घर रिश्ते की बात पहुंचाई। कुछ दिनों बाद शिखा के भाई मेरे मलाड (मुंबई) वाले घर पर आए। बस फिर क्या था शिखा के भाई ने मेरा घर और रहन-सहन देखा और तसल्ली की। इसके बाद 17 मई 1993 को उनकी शादी हो गई।