जानिए कजरी तीज वर्त रखने की विधि और इसके शुभ महूरत के बारे में
इसके शुभ महूरत
कजरी तीज के दिन महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं।
भाद्रपक्ष के कृष्ण पश्र की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। कजरी तीज सावन में पड़ने वाली हरियाली तीज की तरह की होती है। कजरी तीज का व्रत हरियाली तीज के 15 दिन बाद मनाया जाता है। बता दें कि कजरी तीज को बड़ी तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं भी मनवांछित वर का प्राप्ति के लिए विधिवत तरीके से व्रत रखती हैं। जानिए कजरी तीज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कजरी तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक
सुकर्मा योग- प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 14 अगस्त रात 09 बजकर 56 मिनट से 15 अगस्त को प्रातः: 05 बजकर 50 मिनट तक
शुभ समय- 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट
कजरी तीज व्रत की पूजा विधि
- कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
- मां पार्वती का मनन करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें
- सबसे पहले भोग बना लें। भोग में मालपुआ बनाया जाता है।
- पूजन के लिए मिट्टी या गोबर से छोटा तालाब बना लें।
- इस तालाब में नीम की डाल पर चुनरी चढ़ाकर नीमड़ी माता की स्थापना कर लें
- नीमड़ी माता को हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़िया, लाल चुनरी, सत्तू और मालपुआ चढ़ाए जाते हैं।
- धूप-दीपक जलाकर आरती आदि कर लें
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लें।