नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेरियार नदी में गंभीर प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की

केरल की पेरियार नदी में जारी गंभीर प्रदूषण और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर इसके परिणामों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने चिंता व्यक्त की है। NGT ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण मानवता के खिलाफ अपराध है और इससे पीड़ित गरीब आवाजहीन लोग हैं।

केरल की पेरियार नदी में जारी गंभीर प्रदूषण और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर इसके परिणामों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने चिंता व्यक्त की है। NGT ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए, कहा कि प्रदूषण मानवता के खिलाफ अपराध है और इससे पीड़ित गरीब आवाजहीन लोग हैं। NGT के चेयरमेन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा कि प्रदूषण मानवता के खिलाफ और देश के कानून के तहत अपराध है।

प्रदूषण मानवता के खिलाफ अपराध

पीठ ने कहा, ‘प्रदूषण मानवता के खिलाफ और देश के कानून के तहत अपराध है। स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है। बड़ी संख्या में मौतें और बीमारियां इसके कारण हैं। अधिकांश पीड़ित गरीब आवाजहीन लोग हैं। भले ही पीड़ित गरीब और असहाय हैं, लेकिन संविधान के तहत कोई भी राज्य उदासीनता नहीं दिखा सकता है और अदालत के बाध्यकारी आदेशों के बावजूद इस मुद्दे पर सहानुभूति नहीं दे सकता है।’

केरल सरकार को लगाई फटकार

पीठ केरल की सबसे लंबी नदी पेरियार नदी के प्रदूषण पर तीन शिकायतों पर विचार कर रही थी। इस नदी को केरल की जीवन रेखा के रूप में भी जाना जाता है। राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए, ग्रीन कोर्ट ने कहा, ‘पिछले कई वर्षों के दौरान अधिकारियों की रिपोर्ट किसी भी स्थान पर पेरियार नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार नहीं दिखाती है। यह स्पष्ट नहीं है कि नदी का पानी नहाने के लिए उपयुक्त है या नहीं, क्योंकि फेकल कोलीफार्म की मात्रा तय स्तर के भीतर है।’

निगरानी समिति गठिन करने का आदेश

NGT ने केरल के मुख्य सचिव को संबंधित विभागों के चार अतिरिक्त मुख्य सचिवों- पर्यावरण, स्थानीय स्वशासन, सिंचाई / जल संसाधन और वित्त के साथ एक निगरानी समिति का गठन करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण समन्वयक होंगे। तय समय के साथ कार्ययोजना के क्रियान्वयन की स्थिति का जायजा लेने के लिए समिति दो सप्ताह के भीतर अपनी पहली बैठक कर सकती है। आदेश में कहा गया है कि ऐसे लक्ष्यों की प्रगति की महीने में कम से कम एक बार समीक्षा की जानी चाहिए।

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