बिहार में वसंत के मौसम में गर्मी ने लोगों को चौंकाया..
वसंत के मौसम में अचानक से मौसम ने करवट बदल ली है। लोगों को अभी से गर्मी का एहसास होने लगा है। प्रदेश में अब गर्मी की रफ्तार बढ़ेगी। अब ठंड की वापसी नहीं होगी।
जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसार उत्तर बिहार का अधिकतम तापमान 29.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इसके साथ ही न्यूनतम तापमान 12.7 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा। यह सामान्य से 1.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।
सापेक्ष आर्द्रता सुबह सात बजे 100 प्रतिशत, दोपहर दो बजे 54 प्रतिशत पर पहुंचा। 2.8 किलोमीटर की गति से पछिया हवा चली। मौसम विज्ञानी डा.ए सतार ने बताया कि गर्मी की रफ्तार अब तेज होगी। ठंड की वापसी नहीं होने वाली है।
अगले दो दिनों तक बढ़ेगा तापमान
जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसार अगले तीन दिन तक उत्तर बिहार के जिलों में आसमान प्राय साफ और मौसम के शुष्क रहेगा। हालांकि, 21-22 फरवरी के आसपास आसमान में बादल आ सकते हैं।
वरीय मौसम विज्ञानी डॉ. सतार ने बताया कि इस अवधि में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी के साथ यह 28 से 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में भी 3-4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ 14-16 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। इस अवधि में औसतन 4-6 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने का अनुमान है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 85 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 60 प्रतिशत रह सकती है।
अगात सरसों की तैयार फसल की करें कटनी
मौसम के शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए अगात सरसों की तैयार फसलों की कटाई और सुखाने का कार्य करें। अगात आलू की तैयार फसल की खुदाई करते चलें। वसुतकालीन ईंख और शकरकंद की रोपाई करें। अक्टूबर-नवम्बर महीनों में रोपी गई ईख की फसल में हल्की सिंचाई कर सकते हैं।
गरमा सब्जियों जैसे भिंडी, कद्दू, कदिमा, करेला, खीरा और नेनुआ की बुआई के लिए मौसम अनुकूल है। इसके लिए बीज की खरीदारी प्रमाणित स्रोत से करें। बुआई से पूर्व मिट्टी में प्रर्याप्त नमी की जांच अवश्य कर लें । नमी के अभाव में बीजों का अंकुरण प्रभावित हो सकता है। चारा के लिए ज्वार, मकई और बाजरे की बुआई करे चारे की लगी हुई फसले जैसे-जई, बरसीम की कटाई 25-30 दिनों के अंतर पर करें। प्रत्येक कटनी के बाद खेतों में 10 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टर की दर से उपरिवेशन करें।