कश्मीर: पत्थरबाजों पर अगले साल से चलेंगे मिर्ची गोले, पैलेट गन की जगह किया जाएगा प्रयोग
कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए पैलेट गन की जगह मिर्ची गोलों का इस्तेमाल होगा। कैप्सिकम ऑयल से युक्त इन गोलों से उपद्रवियों की आंख और शरीर में चार से पांच घंटे तक जलन रहेगी और वे उपद्रव नहीं कर सकेंगे। सुरक्षा बल अगले साल से इन गोलों का प्रयोग शुरू कर देंगे।
अधिकारी ने कहा कि इजरायल समेत कई देशों के मॉडल की परख के बाद अंतरराष्ट्रीय मापदंडों का ख्याल करके इसे तैयार किया जा रहा है। हालांकि यह पूरी तरह भारत में निर्मित है।
पैलेट गन का कम उपयोग
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हम पैलेट गन का उपयोग कम से कम करना चाहते हैं। लेकिन जो वैकल्पिक गोले हैं वे उतने कारगर नहीं हैं। मिर्ची गोले मिलने से पैलेट गन का इस्तेमाल कम होगा।
कम घातक
पैलेट गन के इस्तेमाल से शारीरिक क्षति होती थी, जिसे लेकर कई बार सवाल उठे। इसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने कम घातक मिर्ची गोलों के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। सीआरपीएफ की मांग पर बीएसएफ की टेकनपुर टियर स्मोक यूनिट में इन गोलों को तैयार किया जा रहा है।
ज्यादा असरकारक
पहले ये गोले मिर्च पाउडर के रूप में प्रयोग होते थे लेकिन कैप्सिकम की मात्रा महज 2% थी। नए गोलों में इसे बढ़ा दिया गया है। कैप्सिकम का तैलीय रूप ज्यादा असरकारक है।
अपेक्षाओं पर खरे उतरे
परीक्षण में इन गोलों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप रहा। सीआरपीएफ चाहती है कि कम से कम डेढ़ लाख गोले उपलब्ध कराए जाएं।