बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर की पत्नी ने कहा- अगर छुट्टी मंजूर हो गई होती तो वे जिंदा होते
बुलंदशहर हिंसा (Bulandshahr Violence) में रविवार को मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के दो में से एक बेटा ने अपनी परीक्षा फौरन खत्म ही की थी कि उसे पिता की मौत की ऐसी खबर मिली, जिसे सुनने के बाद उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। अभिषेक सिंह ने कहा- “वह हमें अच्छे नागरिक बनाना चाहते थे। वह हमें ऐसा देखना चाहते थे जो धर्म के नाम पर हिंसा न फैलाए।”
अपने पिता के साथ आखिरी बातचीत को साझा करते हुए अभिषेक सिंह ने कहा- “मैनें घटना के एक दिन पहले उनके बात की। उन्होंने मुझे कहा था कि कमजोर विषय पर मेहनत करो। इसके साथ ही, सलाह दी कि उन विषय पर सबसे ज्यादा ध्यान केन्द्रित करों जिन पर आखिरी बार की परीक्षा में कम अंक आएं हैं।”
उसके बड़े भाई श्रेया पिता की अंत्येष्टि पर खूब रोया। उन्होंने कहा- “वह एक अच्छे व्यक्ति थे। आखिरी बार जब मेरी उनसे बात हुई तो उन्होंने मुझसे पूछा कि खाना खा लिया। उन्होंने अपने ड्यूटी पर जान गंवाई है।” फिर आगे बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए उसने कहा- “कभी कभी, उनसे कहा जाता था कि कुछ केस की जांच मत करो… लकिन वह हमेशा करते थे।”
उनकी मां सुनीता अपने रिश्तेदारों से यह कह रही है कि उनके पति ने जो छुट्टी मांगी थी लेकिन उससे इनकार कर दिया गया। अगर उन्हें वह छुट्टी मिल जाती तो वह आज जिंदा होते। उसके बाद वह जोर-जोर से रोने लगती हैं।
पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और कुछ अन्य पुलिसवाले गुस्साई भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे। लेकिन, उनकी भारी संख्या होने के चलते स्थिति बेकाबू हो गई। उसके बाद सुबोध सिंह को गोली मार दी गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिंह के परिवार को 40 साल रुपये और उनके माता-पिता को 10 लाख रुपये देने के साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।