प्रदूषण की मारः गैस चैंबर बनी राजधानी, घर में ही रहने की दी गई सलाह

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के चलते एक बार फिर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हवा में पीएम 2.5, बेंजीन और एनओ2 के बढ़ने से लोग सिरदर्द, आंखों में जलन और खांसी से बेहाल हैं. पीएम 10 से कहीं अधिक परेशानी हो रही है. रविवार (23 दिसंबर) का दिन दिल्ली में सीजन का सबसे प्रदूषित दिन था. बीती रात से ही प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा था. सुबह करीब 9 बजे नेहरू नगर और वजीरपुर में पीएम 2.5 बढ़कर 1000 एमजीसीएम पहुंच गया. यह सामान्य से 16.7 गुना अधिक है.

बता दें कि रविवार को साल में दूसरी बार प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहा जिसे देखते हुए अधिकारियों ने लोगों से अगले कुछ दिनों तक घरों से बाहर कम निकलने की सलाह दी है. अधिकारियों का कहना है कि मौसम की परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने के कारण वायु गुणवत्ता अगले कुछ दिन तक गंभीर की श्रेणी में रह सकती है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े बताते हैं कि समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 रहा जो ‘गंभीर’ की श्रेणी में आता है वहीं केंद्र के वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) के आंकड़ों में यह 471 रहा.

यह साल में दूसरी बार है जब प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहा. इससे पहले दिवाली के अगले दिन यानी आठ नवंबर को सबसे ज्यादा प्रदूषण था, तब एक्यूआई 571के करीब पहुंच गया था. सीपीसीबी नीत कार्यबल ने लोगों से अगले कुछ दिनों तक कम से कम घर से निकलने और निजी वाहनों के इस्तेमाल से बचने को कहा है.

पीएम 2.5 के ‘गंभीर एवं आपात’ श्रेणी में पहुंचने के मद्देनजर शनिवार को सीपीसीबी नीत कार्यबल ने बैठक की. पीएम 2.5 के प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से कैंसर जैसी बीमारी होने और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने बैठक में कई सिफारिशें की हैं जिनमें एजेंसियों को हिदायत दी गई है कि वे पहले से तय किए गए उपायों को लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई में तेजी लाएं, खासतौर पर गाड़ियों के उत्सर्जन और बायोमास जलाने पर लगाम लगाएं.

फोटोः आईएएनएस

अन्य सिफारिशों में, संबंधित एजेंसियां से कहा गया है कि उन जगहों पर निगरानी बढ़ाई जाएं जहां औद्योगिक कचरा डाला जाता है या जलाया जाता है. इसके साथ ही पानी का छिड़काव किया जाए और यातायात पुलिस सुगम यातायात सुनिश्चित करे.

कार्यबल ने लोगों से निजी गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया है, विशेष रूप से, डीजल से चलने वाले वाहनों का उपयोग करने से बचने को कहा है. इसके अलावा, लोगों से अपील की है कि वे अगले तीन से पांच दिन घर से बाहर कम से कम निकलें, खासतौर पर जिन्हें सांस की बीमारी है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘गंभीर’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता में सेहतमंद लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. सीपीसीबी ने कहा कि रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के 30 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी की रिकॉर्ड की गई जबकि छह क्षेत्रों में यह ‘बहुत गंभीर’ रही.

आंकड़ों के मुताबिक, अशोक विहार, आनंद विहार, वजीरपुर समेत अन्य इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर एवं आपात’ श्रेणी के आसपास रही. सीपीसीबी के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गाजियाबाद में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई. वहां का एक्यूआई 475 रहा. फरीदाबाद और नोएडा में भी वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही. सीपीसीबी ने कहा कि दिल्ली में समग्र पीएम 2.5 का स्तर 404 रहा जबकि पीएम 10 का स्तर 577 रहा.

भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि कम हवा चलने और कम तापमान का दौर अगले तीन-चार दिन जारी रहेगा. इस वजह से प्रदूषकों का छितराव नहीं होगा और अगले दो-तीन दिन तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रह सकती है.

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