ISRO ने छात्रों का बनाया दुनिया का सबसे हल्का सैटेलाइट लांच कर रचा इतिहास, प्रधानमंत्री ने दी बधाई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी44 रॉकेट ने गुरुवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से भारतीय सेना का उपग्रह माइक्रोसैट और छात्रों का उपग्रह कलामसैट लेकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. कलामसैट दुनिया का सबसे हल्का सैटेलाइट कहा जा रहा है. इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी44 ने सेना के उपग्रह माइक्रोसैट-आर को सफलतापूवर्क उसकी कक्षा में स्थापित किया. वही इसरो की इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है.
पीएम मोदी ने कहा ‘हम अपने वैज्ञानिकों को एक और पीएसएलवी के सफल लांच के लिए बधाई देते हैं. इस प्रक्षेपण से कलामसैट उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो कि देश के प्रतिभाशाली छात्रों ने बनाया है. इसके साथ ही भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने रॉकेट के चौथे स्टेज का अंतरिक्ष अभियान में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है.’
इसरो के 2019 के पहले मिशन में 28 घंटे की उल्टी गिनती के बाद रात 11 बजकर 37 मिनट पर पीएसएलवी-सी44 ने उड़ान भरी.
यह पीएसएलवी की 46वीं उड़ान है. इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी44 740 किलोग्राम वजनी माइक्रोसैट आर को प्रक्षेपण के करीब 14 मिनट बाद 274 किलोमीटर ध्रुवीय सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित कर दिया. इसके बाद यह 10 सेंटीमीटर के आकार और 1.2 किलोग्राम वजन वाले कलामसैट को और ऊपरी कक्षा में स्थापित करेगा. भारतीय ध्रुवीय रॉकेट पीएसएलवी-सी44 छात्रों द्वारा विकसित कलामसैट और पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम माइक्रासैट-आर को लेकर उड़ान भरेगा.