आसान शब्दों में समझें, कैसे कैलकुलेट की जाती है Gratuity, 20 लाख तक हुई टैक्स फ्री
बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तक कर दी है. ऐसे में नौकरीपेशा लोगों के मन में सवाल उठता है कि इससे उनको क्या फायदा होगा साथ ही इसका कैलकुलेशन किस तरह किया जाता है. इसका कैलकुलेकशन कैसे किया जाता है, उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि इसकी क्या शर्ते हैं. एक कंपनी में कम से कम पांच साल काम करने के बाद आप ग्रैच्युटी के हकदार होते हैं. जिस कंपनी में 10 से ज्यादा कर्मचारी होते हैं, उस कंपनी को ग्रैच्युटी देने का प्रावधान है. ये तो नियम हो गए, लेकिन इसका कैलकुलेशन कैसे किया जाता है आइए बताते हैं.
पांच साल पूरा होने के बाद जिस दिन आप कंपनी छोड़ते हैं उस महीने में आपकी जितनी सैलरी होगी उसके आधार पर ग्रैच्युटी का कैलकुलेशन होता है. उदाहरण के तौर पर A ने एक कंपनी में 10 साल काम किया. आखिरी महीने में A के अकाउंट में 50 हजार रुपये आता है. उसमें उसकी बेसिक सैलरी 20 हजार रुपये है. 6 हजार रुपये उसका डियरनेस अलाउंस है. ग्रैच्युटी का कैलकुलेशन 26 हजार (बेसिक और डियरनेस अलाउंस) के आधार पर होगा. ग्रैच्युटी में वर्किंग डे 26 माने जाते हैं. अब 26 हजार को 26 से भाग दें. नतीजा 1000 रुपया निकला. अब इसे 15 दिन से गुणा करना है क्योंकि इसे एक साल में 15 दिन के हिसाब से जोड़ी जाती है. नतीजा 15000 आएगा. उसने 5 साल काम किया तो उसे कुल 75000 रुपये ग्रैच्युटी के रूप में मिलेंगे.
इसलिए, ग्रैच्युटी इस बात से तय होती है कि आखिरी महीने में आपकी बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस कितना है. इसके लिए आपकी सैलरी से कुछ हिस्सा काटा भी जाता है. जो हिस्सा आफकी सैलरी से काटा जाता है वह आपकी CTC (कॉस्ट टू कंपनी) के आधार पर तय किया जाता है. ग्रैच्युटी को देखने के लिए वर्तमान में कोई संस्था नहीं है. इसके लिए केवल कानून है. इस बजट में ग्रैच्युटी को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तक टैक्स फ्री किया गया है.