हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) राजीव महर्षि से अनुरोध किया कि वह 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लें, क्योंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे. कपिल सिब्बल के इन आरोपों पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ‘‘झूठ” के आधार पर कैग की संस्था पर आक्षेप लगा रही है.
कांग्रेस ने यह भी कहा कि महर्षि का संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा. सोमवार को संसद में विवादित राफेल करार पर कैग रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है. जेटली ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके कहा, ‘संस्थानों को बर्बाद करने वालों’ द्वारा झूठ को आधार बनाकर कैग की संस्था पर एक और हमला. दस साल सरकार में रहने के बावजूद संप्रग सरकार के पूर्व मंत्रियों को अब तक नहीं पता कि वित्त सचिव महज एक पद है जो वित्त मंत्रालय के वरिष्ठतम सचिव को दिया जाता है.”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने इससे पहले कहा था कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है. अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह सीएजी के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ, लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?’
इलाज के बाद अमेरिका से लौटे जेटली ने कहा कि वित्त सचिव वित्त मंत्रालय के वरिष्ठतम सचिव को दिया जाने वाला पद है और राफेल फाइल की प्रक्रिया में उसकी कोई भूमिका नहीं है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, “सचिव (आर्थिक मामलों के) की रक्षा मंत्रालय के व्यय संबंधी फाइलों में कोई भूमिका नहीं होती. रक्षा मंत्रालय की फाइलों को सचिव (व्यय) देखते हैं.”