देश और विदेश में जमा काले धन के बारे में तीन अलग-अलग थिंक टैंक की रिपोर्ट को जल्द ही जारी किया
देश और विदेश में जमा काले धन (ब्लैक मनी) के बारे में तीन अलग-अलग थिंक टैंक की रिपोर्ट को जल्द ही जारी किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में वित्तीय मामलों पर गठित संसदीय समिति ने गुरुवार की बैठक में इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने का फैसला लिया जा चुका है। सरकार ने 2017 के जुलाई महीने में इस रिपोर्ट को कमेटी के चेयरमैन मोइली को सौंपा था लेकिन इसे ”गोपनीय” करार देते हुए सार्वजनिक किए जाने और समिति के सदस्यों से भी साझा करने से मना किया था।
सूत्रों ने कहा कि अब यह फैसला लिया गया है कि इस रिपोर्ट को समिति के सदस्यों के साथ साझा किया जाएगा और बाद में इसे सार्वजनिक भी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने 2011 में दिल्ली स्थित नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नैशनल काउंसिल ऑफ एप्लाएड इकॉनमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनैंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) को ब्लैक मनी के बारे में जानकारी जुटाने का आदेश दिया था। इन रिपोर्ट्स में भारतीयों के देश के भीतर और बाहर जमा ब्लैक मनी के बारे में जानकारी है, जिसे करीब चार साल पहले सरकार को सौंपा गया था।
एनाईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम की रिपोर्ट सरकार को क्रमश: 30 दिसंबर 2013, 18 जुलाई 2014 और 21 अगस्त 2014 को मिली थी। फिलहाल भारत और विदेश में जमा ब्लैक मनी को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। अमेरिकी थिंक टैंक ग्लोबल फाइनैंसियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) के मुताबिक 2005 से 2014 के बीच भारत में 770 अरब डॉलर ब्लैक मनी आया।
हाल में ही सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए देश और विदेश में जमा काले धन के बारे में जानकारी मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने इसे साझा करने से मना कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक तीनों रिपोर्ट्स में काले धन को लेकर अलग-अलग आंकड़ें हैं, ऐसे में इसकी निश्चित मात्रा के बारे में तय करना बेहद मुश्किल है। 2014 के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था और सत्ता में आने पर इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया था।
समिति ने इस दौरान अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के प्रभावों की भी समीक्षा की। रिपोर्ट में इस मसले पर समिति के विचारों को भी शामिल किया जाएगा।