विधानसभा का बजट सत्र सरकार द्वारा विनियोग विधेयक पारित करने के साथ ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया

विपक्ष के सदन से वाकआउट के बाद राज्य विधानसभा का बजट सत्र सरकार द्वारा विनियोग विधेयक पारित करने के साथ ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 

सत्र के अंतिम दिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके अलावा उत्तराखंड (संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम, 1910) (संशोधन) विधेयक भी सदन में पारित किया गया। 

सदन में भोजनावकाश के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) विधेयक प्रस्तुत किया। विपक्ष ने इसका समर्थन तो किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मात्र आरक्षण देने से काम नहीं चलेगा। सरकार इन्हें रोजगार देना भी सुनिश्चित करे। 

इसके बाद विभागीय अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू होने पर कांग्रेस ने विभागीय बजट की प्रतियां उपलब्ध न कराए जाने पर आक्रोश प्रकट किया। उन्होंने कहा कि उन्हें मात्र पेन ड्राइव दी गई है। सदन में बजट सत्र के दौरान एक दिन पूर्व विभागीय बजट दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई थी। बजट की प्रतियां न मिलने से वे किस प्रकार इस पर चर्चा कर सकते हैं। 

सरकार पर सदन में चर्चा से बचने के लिए विभागीय बजट की प्रतियां उपलब्ध न कराने का अरोप लगाते हुए विपक्ष कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया। विपक्ष के वाकआउट करने के बाद मंत्रियों द्वारा विभागीय बजट प्रस्तुत किया गया। कटौती का प्रस्ताव न मिलने के कारण बिना किसी चर्चा के 17 विभागों का बजट पारित किया गया। विभागीय अनुदान मांगें पारित होने के बाद वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने विनियोग विधेयक रखा, जिसे विपक्ष की अनुपस्थिति में ध्वनिमत से पारित किया गया। सदन के शेष कार्य के पश्चात पीठ ने सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

33 घंटे 49 मिनट चला विधानसभा का बजट सत्र

अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही 33 घंटे व 49 मिनट चली। सत्र के दौरान सदन में नौ विधेयक पारित किए गए। सत्र में कुल 710 सवाल आए, जिनमें से 101 तारांकित, 340 आतारांकित व नौ अल्पसूचित प्रश्नों के उत्तर दिए गए। 

बीते दो वर्ष में 10वीं बार ऐसा हुआ है जब सदन के पटल पर रखे गए सभी तारांकित प्रश्नों का प्रश्नकाल के दौरान निर्धारित अवधि में उत्तर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने शुक्रवार को सत्र स्थगित समाप्त होने के पश्चात पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 11 फरवरी से शुरू हुए बजट सत्र के दौरान नियम 300 के अंतर्गत 112 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिनमें से 29 स्वीकृत एवं 27 सूचनाएं ध्यानाकर्षण के लिए रखी गई। 

नियम 53 के तहत 72 सूचनाओं में से 10 स्वीकृत एवं 17 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गई। नियम 58 के तहत 31 सूचनाओं में से 17 स्वीकृत की गई। नियम 310 के अंतर्गत एक सूचना प्राप्त हुई और उसे स्वीकार भी किया गया।

उन्होंने कहा कि सदन में दो असरकारी संकल्प, नियम 105 के अंतर्गत दो प्रस्ताव एवं 125 याचिकाओं में से 32 स्वीकृत याचिकाएं सदन के पटल पर रखी गई। उन्होंने बताया कि सदन में पीठ की ओर से जहरीली शराब से मौतों के प्रकरण में समिति का गठन कर इसकी रिपोर्ट सदन में रखने को कहा था। यह रिपोर्ट शुक्रवार को सदन में रखी गई। 

उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण मुद्दे पर पीठ से विधानसभा सदस्यों की समिति बनाकर मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होने सुचारू सत्र चलाने के लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।

स्टिंग प्रकरण पर कांग्रेस ने सीएम से मांगा इस्तीफा

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़े कथित स्टिंग प्रकरण को लेकर सदन में सरकार को घेरते हुए नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की मांग की। विपक्ष ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार के दावों पर सवालिया निशान लगाते हुए जल्द से जल्द लोकायुक्त व लोकपाल के गठन की भी मांग उठाई। 

वहीं, सरकार ने विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि साक्ष्य के रूप में जो भी प्रमाण दिए गए हैं, वे स्टिंग से संबंधित नहीं हैं। विपक्ष ने पूरे प्रकरण में संशय का वातावरण बनाने का असफल प्रयास किया है। 

सदन में विपक्ष ने मुख्यमंत्री के भाई के कथित स्टिंग प्रकरण के मामले में हंगामा किया। भोजनावकाश बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व विधायक प्रीतम सिंह ने नियम 58 के तहत इस पर चर्चा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के परिजन का इस प्रकरण में नाम आना गंभीर है। इस मामले की विस्तृत जांच सीबीआइ अथवा एसआइटी से कराई जानी चाहिए। 

उन्होंनें कहा कि लोकायुक्त या लोकपाल का गठन न करना सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के दावे की पोल खोलता है। उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि स्टिंग करने वाले जिस व्यक्ति पर सरकार ने मुकदमा दर्ज किया, उससे मुकदमा हटाने का पत्र भी सत्ताधारी दल के नेताओं ने लिखा था। 

उन्होंने स्टिंग से संबंधित पेन ड्राइव व बातचीत के दस्तावेज भी पीठ को सौंपे। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के स्टिंग के मामले में सीबीआइ जांच हुई थी, इस मामले की जांच भी सीबीआइ या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति बनाकर जांच की जाए। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें चुनौती दी थी कि वह परेड ग्राउंड में स्क्रीन लगाकर इस स्टिंग को दिखाएं। 

दिल्ली में प्रेसवार्ता कर यह स्टिंग चैनलों पर दिखाया गया। इस पर सरकार क्यों चुप है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के उस आरोप की निंदा करती हैं, जिसमें उन्होंने बेटे को चुनाव जिताने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही है। 

सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि विपक्ष ने साक्ष्य के रूप में समाचार पत्रों की कटिंग दी हैं, उससे आरोपों का कोई सामंजस्य नहीं है। राजपुर थाने में दर्ज एक रिपोर्ट का पूरा परीक्षण करने के बाद कुछ लोगों पर कार्रवाई हुई है। जो साक्ष्य हैं, उनका विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण किया जा रहा है। कांग्रेस मामले में केवल मुख्यमंत्री की छवि को खराब करने का प्रयास कर रही है।

गैरसैंण में नए सिरे से बनेगा खेल मैदान

गैरसैंण विकास परिषद की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गैरसैंण के 27 और चौखुटिया क्षेत्र के 11 कार्यों के भौतिक सत्यापन की समीक्षा की। बैठक में गैरसैंण में खेल मैदान के कार्य को निरस्त कर नए सिरे से मैदान का निर्णय लिया गया, जबकि चौखुटिया में जगह उपलब्ध न होने के मद्देनजर विश्राम गृह का प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। बैठक में विस अध्यक्ष ने गैरसैंण में शौचालय में जल संयोजन न होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसी डीपीआर कैसे बनी। उन्होंने इस संबंध में स्पष्टीकरण भी मांगा।

विधानसभा में परिषद की बैठक में कुछ विभागों ने अपनी नई कार्ययोजनाएं भी प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर पूर्व में जिन योजनाओं के लिए बोर्ड बैठक की प्रत्याशा में धनराशि अवमुक्त की गई थी, उनका अनुमोदन भी किया गया। तय किया गया कि जिन योजनाओं का कार्य पूर्ण और भौतिक सत्यापन हो गया है, उन पर द्वितीय किस्त शीघ्र ही अवमुक्त की जाएगी।

विधानसभा अध्यक्ष ने गैरसैंण और उसके आसपास के क्षेत्रों में सड़क, पानी, पर्यटन से संबंधित बड़ी योजनाओं के लिए विभागों को अपनी-अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट अगली बैठक में रखने को कहा, ताकि गैरसैंण पूरे राज्य में एक मॉडल के रूप में उभरे। उन्होंने अधिकारियों को अगली बैठक में पूरी तैयारी के साथ आने को भी कहा। 

बैठक में गैरसैंण के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, द्वाराहाट क्षेत्र के विधायक महेश नेगी, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास मनीषा पवार के अलावा सचिव अमित नेगी, नितेश कुमार झा, भूपेंदर कौर औलख समेत विभिन्न विभागों के आला अधिकारी मौजूद थे।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सीबक थोर्न प्रोजेक्ट

उच्च हिमालयी में उगने वाला सीबक थोर्न यानी अमेष का पौधा अब उत्तराखंड में भी लोगों की झोलियां भरेगा। केंद्र सरकार ने राज्य के पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी के उच्चशिखरीय क्षेत्रों में अमेष के कृषिकरण एवं इसके उत्पाद विकसित करने के लिए सीबक थोर्न प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हुए 20.50 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है। 

विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन विधायक ऋतु खंडूड़ी के सवाल के जवाब में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने सदन को यह जानकारी दी। जंगली पौधे सीबक थोर्न में शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने जैसे गुण हैं। चीन में तो सीबक थोर्न से करीब 150 से अधिक उत्पाद तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी सीबक थोर्न के पौधे पाए जाते हैं। इस अहम पौधे के कृषिकरण के मद्देनजर विधायक ऋतु खंडूड़ी ने इससे संबंधित तारांकित प्रश्न लगाया था। 

जवाब में कृषि मंत्री उनियाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य के तीन जिलों में इस पौधे के सर्वे, अभिलेखीकरण और वेल्यू एडीशन के लिए सीबक थोर्न प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसे मिशन फार इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट आफ हार्टिकल्चर (एमआइडीएच) के अंतर्गत अतिरिक्त गतिवधियों के रूप में शामिल किया गया है। 

उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत मुनस्यारी में सीबक थोर्न के डेढ़ हजार मातृ पौधे लगाए गए हैं, जिससे भविष्य में पौध तैयार कर कृषकों को कृषिकरण के लिए वितरित किया जाएगा। उन्होंने विधायक हरीश धामी, केदार सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह जीना व मनोज रावत के अनुपूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि सीबक थोर्न की खेती को वैकल्पिक खेती के रूप में अपनाया जा सकता है। 

कुटकी की खेती से जुड़े 275 किसान 

विधायक ऋतु खंडूड़ी के एक अन्य प्रश्न के जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में औषधीय महत्व के पौधे कुटकी के कृषिकरण को वर्ष 2017 में उत्तराखंड कृषि उत्पादन बोर्ड ने 23 लाख रुपये की वित्तीय सहायता जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान को दी। कुटकी कृषिकरण के विस्तार योजना को ‘अटल जड़ी-बूटी मिशन’ नाम दिया गया। 

टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिलों में कुटी पौध का पांच नाली भूमि तक निश्शुल्क वितरण कर कृषिकरण किया जा रहा है। औषधीय पौधों के विपणन के लिए तीन हर्बल मंडियां भी स्थापित की गई हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 275 किसान कुटकी की खेती से जुड़े हैं, जिन्हें 15.56 लाख पौधे दिए गए। 

विधायक ऋतु खंडूड़ी, चंदन रामदास, मुन्नी देवी, राजकुमार व महेश नेगी के अनुपूरक प्रश्नों पर उन्होंने कहा कि कुटकी की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने का विचार नहीं है। 

पीकेवीवाई व आरकेवीवाई में 460 करोड़ विधायक देशराज कर्णवाल के सवाल पर कृषि मंत्री ने बताया कि परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकवीवाई) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। तीन वर्ष की इन योजनाओं में 460 करोड़ की राशि व्यय की जानी है। उन्होंने बताया कि जैविक फसलों पर मंडी शुल्क खत्म करने का विचार नहीं है। 

विधायक प्रीतम सिंह, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, राम सिंह कैड़ा ने भी अनुपूरक प्रश्न रखे। 564 मामलों में हुई कार्रवाई विधायक देशराज कर्णवाल के अल्पसूचित प्रश्न पर कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य बनने के बाद उर्वरक के 297 और कीटनाशी रसायन के 267 सैंपल फेल हुए। इनमें कार्रवाई की गई। उन्होंने इसका ब्योरा भी सदन में रखा।

आरक्षण लागू करने के लिए रोस्टर जारी

प्रदेश में अब होने वाली नई नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो के लिए आरक्षण का रास्ता भी साफ हो गया है। विधानसभा में लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) विधेयक पारित होने के बाद शासन ने शुक्रवार को सरकारी रिक्तियों में इसे लागू करने के लिए आरक्षण का रोस्टर भी जारी कर दिया। केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णो के लिए आरक्षण लागू करने को 14 जनवरी से लागू करने का गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। 

केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों से इसे अपने यहां लागू करने की अपेक्षा की थी। इस कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी इस दिशा में तेजी दिखाई और प्रदेश में इसे लागू करने को गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसे विधिक रूप देने के लिए इसे विधानसभा में सदन के पटल में रखा गया। इसे सदन से मंजूरी प्रदान कर दी गई। 

सदन से मंजूरी मिलने के बाद अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी द्वारा इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागीय सचिवों व विभागाध्यक्षों को सीधी भर्ती में आरक्षण नीति को लागू करने के लिए पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए चार प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण अनुमन्य किया गया है। इसी क्रम में रिक्तियों के सापेक्ष पदों को भरने का रोस्टर जारी किया गया है। सभी विभागों से इसी आधार पर नियुक्तियां करने को कहा गया है।

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