भारतीय वासुसेना के जवानों ने उसका मुंहतोड़ जवाब सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए दिया
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामामें जो किया, 12 दिनों के बाद भारतीय वासुसेना के जवानों ने उसका मुंहतोड़ जवाब सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए दिया. भारत ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए पीओके में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के करीब 12 ठिकानों को तबाह कर दिया. भारतीय वासुसेना की इस कार्रवाई में 200 से 300 आतंकियों को मार गिराया गया. भारतीय वायुसेना ने सोमवार (25 फरवरी) को सुबह 3.45 बजे पीओके में घुसकर 12 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. इसमें जैश, हिज्बुल और लश्कर के कई आंतकियों को ढ़ेर कर दिया.
लगभग ढ़ाई साल पहले उरी के बाद कश्मीर के पुलवामा में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. पीएम मोदी ने इस आतंकी हमले के बाद दो टूक कहा था कि हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी और इस हमले का जवाब दिया जाएगा. पीएम मोदी ने जैसा कहा, वो एक बार फिर करके साबित कर दिया. पीएम मोदी के कार्यकाल में सेना ने ये तीसरा बड़ा सर्जिकल स्टाइक कर ये बता दिया कि जो भी भारत की तरफ आंख उठाकर देखेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा.
मोदी सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा होने में अभी कुछ महीने बाकी हैं. हमले के बाद पूरे भारत की मांग थी कि आतंकी हमले और हमले के बाद हुई मुठभेड़ में मारे गए जवानों की शहादत का बदला लिया जाए. पीएम मोदी ने कहा था कि हमारा पड़ोसी देश ये भूल रहा है कि ये नई रीति और नई नीति वाला भारत है. आतंकी संगठनों और उनके आकाओं ने जो हैवानियत दिखाई है, उसका पूरा हिसाब किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये धरती गवाह है कि मां भारती की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है. इस हमले के बाद उन्होंने कहा था कि सुरक्षा बलों को आगे की कार्रवाई के लिए, समय क्या हो, स्थान क्या हो और स्वरूप कैसा हो, ये तय करने के लिए पूरी इजाजत दे दी गई है. आतंकवादियों और उनके सरपरस्तों को कड़ा संदेश देते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि आतंकी संगठनों और उनके आकाओं ने जो हैवानियत दिखाई है, उसका पूरा हिसाब लिया जाएगा.
म्यांमार की सीमा से पहला सर्जिकल स्ट्राइक
मोदी सरकार ने बनने के बाद भारतीय जवानों ने पहली बार 9 जून 2015 में म्यांमार की सीमा से लगते इलाके चंदेल में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इससे पहले 4 जून एनएससीएन-के के उग्रवादियों ने मणिपुर में सेना के काफिले पर हमला कर 18 जवानों की हत्या कर दी थी. इसका जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने यह सर्जिकल स्ट्राइक की थी. उस वक्त इस इलाके की कमान मौजूदा जनरल बिपिन रावत के ही हाथों में थी. इस पूरे मिशन को करीब 72 स्पेशल कमांडो ने अंजाम दिया था. इन जवानों ने म्यांमार के अंदर घुसकर उग्रवादियों को ढेर किया था और उनके कैंपों को ध्वस्त कर दिया था. इसी तर्ज पर ही पाकिस्तान में भी सर्जिकल स्ट्राइल करने का फैसला किया गया था.
उरी हमले के बाद दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक
18 सितंबर 2016 को आतंकियों ने उरी में सेना के कैंप पर बड़ा हमला किया था. इस हमले में 19 जवान शहीद हुए थे. हमले के बाद मोदी सरकार ने कहा था कि आतंकियों को इसका करारा जवाब दिया जाएगा. इसके 10 दिन बाद ही 28-29 सितंबर की रात को पीओके में घुसकर भारतीय सेना ने आतंकियों के कैंपों को उड़ा दिया था. सेना के इस वीरता भरे ऑपरेशन में एक भी जवान शहीद नहीं हुआ था. भारतीय सेना ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की निगरानी में ही हुई थी. इस मिशन को पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया था. सेना की इस ऑपरेशन में सफलता के बाद इसके बारे में खुलासा किया गया था.