फ्रांस ने एक बार फिर यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का किया समर्थन 

फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए एक बार फिर से भारत का समर्थन किया है। मार्च महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने के बाद फ्रांस ने कहा कि परिषद का विस्तार इसके सुधार की दिशा का पहला महत्वपूर्ण हिस्सा है। बता दें कि भारत लंबे समय से ब्राजील, जर्मनी और जापान के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मांग करने के साथ ही इस बात पर जोर देता रहा है कि वह परिषद का स्थायी सदस्य बनने का हकदार है।

संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थानीय प्रतिनिधि फ्रांस्वा डेल्ट्रे ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हम भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान और अफ्रीका के न्यायसंगत प्रतिनिधित्व के साथ गैर स्थायी और स्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद का विस्तार चाहते हैं। यह परिषद का सबसे अहम पहलू है। संयुक्त राष्ट्र के सुधार की कुंजी 15 सदस्यीय परिषद के विस्तार, सहभागिता और नागरिक समाज के लिए खुलापन जैसे तीन क्षेत्रों के माध्यम से खुलती है। प्रेस कांफ्रेंस में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टोफर हेस्जेन भी मौजूद रहे। जर्मनी अप्रैल में परिषद की अध्यक्षता संभालेगा। डेल्ट्रे ने कहा कि यह फ्रांस का रणनीतिक उद्देश्य है और मेरा मानना है कि जर्मनी का भी यही उद्देश्य है। अगर हम संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद की प्रतिनिधि प्रकृति में विश्वास करते हैं तो हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि परिषद का विस्तार जल्दी हो।

परिषद का मौजूदा प्रारूप वास्तविकता नहीं दर्शाता

जर्मनी के राजदूत हेस्जेन ने कहा कि सुरक्षा परिषद का मौजूदा प्रारूप विश्व की वास्तविकताओं को नहीं दर्शाता। फ्रांस और जर्मनी ने एक स्वर में इसमें सुधार की मांग की है। अगर आप इसमें सुधार नहीं करते हैं तो यह अपनी वैधता खो देगा। लिहाजा मुझे लगता है कि हमें इस दिशा में मिलकर काम करना होगा।

फ्रांस ने मसूद अजहर पर पेश किया था प्रस्ताव

15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और वीटो शक्ति प्राप्त फ्रांस ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पिछले महीने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ परिषद में नया प्रस्ताव पेश किया था।

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