माल्या मामले में सेबी ने कंपनी कानून में संशोधन की मांग की

अयोग्य करार दिए जाने के बाद विजय माल्य के निदेशक के पद से नहीं हटने के मद्देनजर पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सरकार से कंपनी कानून-2013 की धारा 167 में संशोधन करने की मांग की है।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चत करना है कि उसके द्वारा अगर किसी निदेशक को अयोग्य करार दिया जाता है तो वह तत्काल पद से हटे। कंपनी कानून के तहत किसी अदालत या न्यायाधिकरण के आदेश के बाद संबंधित निदेशक पद पर बैठा व्यक्ति अयोग्य हो जाता है और उसे पद से हटना पड़ता है। लेकिन सेबी के बारे में स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं कहा गया है, जबकि उसे हजारों सूचीबद्ध कंपनियों के नियमन की जिम्मेदारी मिली है।

सेबी ने एक प्रस्ताव में कहा कि कंपनी कानून में यह स्पष्ट जिक्र होना चाहिए कि अगर उसके आदेश में संबंधित व्यक्ति अयोग्य करार दिया जाता है तो उसे तत्काल निदेशक पद छोड़ देना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधन को लेकर सेबी से इस बारे में अपने निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त करने और उसके बाद उसे कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को भेजने को कहा है। कंपनी कानून के लिए नोडल मंत्रालय कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय है। अपने प्रस्ताव में सेबी ने 25 जनवरी 2017 के आदेश का जिक्र किया है, जिसमें नियामक ने माल्या और छह अन्य को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में अगले आदेश तक निदेशक पद लेने से मना किया था।

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