इंग्लैंड के स्टोनहेंज में मनाए जाते थे दुनिया के सबसे बड़े उत्सव, दावत में यह जानवर होता खास
पुरातत्वविदों ने बताया है कि शुरुआती दौर में ब्रिटेन में दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाता था। उन्होंने उत्सव के साक्ष्यों के बारे में पता लगाया है। उन्होंने बताया है कि स्टोनहेंज और एवेबरी के विश्व प्रसिद्ध स्मारकों के पास पुरातन काल में सौकड़ो मील दूर से लोग अपने जानवरों के साथ दावत मनाने आते थे। ब्रिटेन की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में बताया गया कि इन स्थानों से 131 सुअरों की हड्डियां मिली हैं, जो कि लेट नियोलिथिक (2800 से 2400 ईशा पूर्व) काल की हैं। दावत करने के लिए तब के समय सूअर मुख्य जानवर होता था। बताया कि चार स्थलों- र्डुंरगटन वाल्स, मार्डेन, माउंट प्लीजेंट और वेस्ट केनेट पलिसडे में सबसे पहले ब्रिटिश दावतें हुईं थीं। जिसमें शामिल होने के लिए पूरे ब्रिटेन से लोग अपने जानवरों के साथ शामिल हुए थे।
साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि इन स्थलों से जिन सुअरों की हड्डियां बरामद हुईं है वह स्कॉटलैंड, उत्तर-पूर्व इंग्लैंड और वेस्ट वेल्स सहित ब्रिटिश द्वीपों के कई अन्य जगहों से लाए गए थे। शोधकर्ताओं ने संभावना जताई है कि शायद उस समय यह जरूरी होता होगा कि लोग उत्सव के लिए अपने घर में ही पाले गए जानवर लाएं। कार्डिफ यूनिवर्सिटी के रिचर्ड मैडग्विक ने बताया कि लोगों के इस जमावड़े को शायद इस द्वीप के पहले उत्सव के रूप में जाना जाए जहां पर ब्रिटेन के कोने-कोने से लोग इकट्ठा होते थे और अपने घर में पाले गए जानवरों की दावत देते थे। उन्होंने बताया कि दक्षिणी ब्रिटेन के नियोलिथिक काल के दौरान हेंज के समीप की ये दावत भोजन और श्रम जुटाने के मामले में दुनिया के प्रमुख समारोहों का केंद्र बिंदु रहा होगा।
इस आधार पर किया गया दावा
शोधकर्ताओं ने बताया कि दावत का दावा इस बात पर ज्यादा पुष्ट होता है कि सुअर दावत में मुख्य रूप से शामिल किए जाने वाला जानवर था। इसके साथ सुअर के हड्डियों के अलावा इन स्थलों से किसी इंसान की हड्डी नहीं मिली। प्राप्त हड्डियों के आइसोटोप का अध्ययन करने के बाद यह पता चल सका इन सुअरों ने किस जगह का पानी और खाना ग्रहण किया था। जिसके बाद इन्हें दूर-दराज से लाए जाने की भी पुष्टि हुई।
शोधकर्ताओं ने बताया कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी दूरी से इन सुअरों को यहां लाया कैसे गया। उन्होंने बताया कि सुअर अन्य जानवरों की तरह नहीं होतें जिन्हें हांक कर इतनी दूर आसानी से लाया जा सके।