जेटली बोले, कांग्रेस की घोषणा सिर्फ धोखा,मोदी सरकार तो सालाना दे रही 1,06,000 रुपये

बीस प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देने संबंधी कांग्रेस की घोषणा को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने धोखा कहा है। उन्होंने एक-एक कर गिनाया कि गरीबी हटाओ के नारे पर चुनाव जीतने के बावजूद कांग्रेस सरकारों ने केवल धोखा ही दिया है।

जबकि मोदी सरकार गरीबों को सशक्त बना रही है। अगर कांग्रेस के 72 हजार रुपये सालाना के खोखले चुनावी वादे को भी माना जाए तो मोदी सरकार पहले ही डायरेक्ट बेनिफि ट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम से हर गरीब परिवार को हर साल लगभग 1,06,000 रुपये दे रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह कांग्रेस का इतिहास है कि चुनाव जीतने के लिए वह वादे करती है फिर गरीबों को भ्रम में रखती है। कांग्रेस की यह घोषणा भीे धोखा और छल-कपट ही है। यही कारण है कि कांग्रेस के 60 साल के शासन में गरीबी जस के तस रही।

उन्होंने कहा कि नारे और बयानों से गरीबी नहीं जाएगी। साधनों से जाएगी। मोदी सरकार ने गरीबों को आवास, गैस कनेक्शन व शौचालय के रूप में साधन देने का काम किया है। जेटली ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में देश की विकास दर महज 3.5 प्रतिशत थी और पूरी दुनिया इसे हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहकर मजाक उड़ाती थी। इस विकास दर से गरीबी हटाना संभव नहीं था।

इसके बाद इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ नारा दिया, लेकिन उन्होंने गरीबी हटाने के लिए जो आवश्यक था वो नहीं किया। राजीव गांधी की सरकार में तो विवाद ही चलते रहे इसलिए गरीबी दूर करने की कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह संप्रग के 10 साल के कार्यकाल में भी गरीबों के साथ एक प्रकार से छल कपट होता रहा।

तुलनात्मक आंकड़े

-2008 में संप्रग ने 70 हजार करोड़ रुपये कर्ज माफी का एलान किया था, लेकिन माफ सिर्फ 52 हजार करोड़ किए।
-2019 में मोदी सरकार ‘पीएम-किसान’ में 75 हजार करोड़ रुपये हर साल देने की शुरुआत कर चुकी है।
-संप्रग ने मनरेगा पर 40 हजार करोड़ खर्च करने का वादा किया। वास्तविक खर्च महज 28 हजार करोड़ हुआ।
-कर्नाटक में कर्ज माफी के लिए अब तक मात्र 2,600 करोड़ रुपये, मप्र में 3,000 करोड़ और पंजाब में दो साल में मात्र 5,500 करोड़ खर्च किए गए हैं।

-मोदी सरकार गरीबों को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने को 1.84 लाख करोड़ रुपये, किसानों को 75 हजार करोड़ रुपये और कई हजार करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से खर्च कर रही है।
-इन योजनाओं की पूरी राशि को जोड़ें तो यह 5.34 लाख करोड़ रुपये बैठती है। इस तरह हर गरीब को लगभग 1,06,000 रुपये सालाना दिए जा रहे हैं।

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