पाक की सरकारी नीति का हिस्सा आतंकवाद,पाक घिरा मंच पर

पाकिस्तान से सबसे बड़ी समस्या जो पेश आ रही है वह है सीमापार से आतंकवाद और घुसपैठ। संयुक्त राष्ट्र में भारत भी कई बार आधिकारिक रूप से कह चुका है आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति का हिस्सा है। ऐसा नहीं है कि भारत ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, लेकिन पाक अपनी आदत से बाज नहीं आता। सितंबर 2017 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पर बेहद सख्त टिप्पणी की थी। दिसंबर 2017 में भी भारत को पाक पोषित आतंकवाद पर बड़ी सफलता मिली थी। उस समय हैम्बर्ग में हुए जी-20 सम्मेलन, ब्रिक्स समिट और आरआईसी (रूस, इंडिया, चाइना) मिनिस्ट्रियल मीटिंग जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव पास करवाया था। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भारत के स्टैंड को स्वीकार किया गया और टेरर फंडिंग रोकने पर सहमति बनी।

अलगाववाद

यह मानने से कोई गुरेज नहीं है कि अलगावादियों ने कश्मीर की समस्या में आग में घी का काम किया है। वे भारतीय पासपोर्ट के जरिये दूसरे देशों की सरजमीं पर इतारते हुए भारत के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन की वकालत करते हुए विद्रोह की आग उगलते हैं। अब तो यह भी पूरी तरह साफ हो चुका है कि घाटी में पत्थबाजों की फंडिग पाकिस्तान से अलगाववादियों द्वारा की जाती है। कई अलगाववादी नेता राष्ट्रीय जांच एजेंसी के दायरे में हैं। अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी कहते हैं, ‘यहां केवल इस्लाम चलेगा। इस्लाम की वजह से हम पाकिस्तान के हैं और पाक हमारा है।’ असिया अंद्राबी पाक का कश्मीर में दखल कानूनी हक मानती हैं। कमोबेश यही सुर यासीन मलिक और मीरवाइज उमर फारुक के हैं।

अंतराष्ट्रीय मंच पर घेरेबंदी

कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की पाकिस्तान की कोशिशों को भारत जहां विफल करता आ रहा है, वहीं आतकंवाद फैलाने की उसकी साजिशों को बेनकाब करने की रणनीति को लेकर भी हाल के दिनों में भारत मुखर हुआ है। भारत पाक को घेरने में किस कदर सफल हुआ है इसकी बानगी इस साल मार्च में देखने को मिली। भारत को पहली बार इस्लामी सहयोग संगठन यानि ओआइसी के मंच पर गेस्ट ऑफ ऑनर मिला। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। लेकिन जो देश आतंकवाद को पनाह देते हैं उनकी फंडिंग बंद होनी चाहिए। 2016 में भी अमेरिकी सीनेट ने भी रिपोर्ट में माना था कि पाक की ओर से आतंकी तत्वों को मिल रहे मदद के कारण भारत अब सबक सिखाने की कार्रवाई करने की तैयारी में है।

भारत को नहीं दिया एमएफएन दर्जा

भारत ने 1996 में पाकिस्तान को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने भारत को ये दर्जा नहीं दिया है, बल्कि इसके बजाए उसने भारत से नॉन डिस्क्रिमिनेटरी मार्केट एक्सेस (गैर-भेदभावपूर्ण बाजार) समझौता किया है। पाक 2012 से कहता आ रहा है कि भारत को भी मोस्ट फेवरेट नेशन (एमएफएन) का दर्जा देगा। 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद भारत ने सख्ती दिखाते हुए पाक से एनएफएन का दर्जा छीन लिया था। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुसार यदि कोई सदस्य देश किसी देश विशेष से एमएनएफ का दर्जा वापस लेता है तो ऐसा माना जाता है कि उसकी उस क्षेत्र विशेष में छवि खराब होती है। 

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