बॉलीवुड टूट पड़ा बनारस पर फिल्में बनाने के लिए, जानिए क्यों ?

काशी, बनारस और वाराणसी. दुनिया का प्राचीन शहर और एक ही शहर के कई नाम. बनारस लंबे वक्त से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक वजहों से ये शहर फिलहाल चर्चाओं में हैं. चर्चा की वजह नरेंद्र मोदी हैं. नरेंद्र मोदी, वाराणसी से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर आज दूसरी बार लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन कर रहे हैं.

वैसे आज बनारस की चर्चा राजनीति के वजह से हो रही है, लेकिन ये हमेशा से ही धर्म, अध्यात्म, दर्शन और कला संस्कृति के लिए मशहूर रहा है. धर्म, अध्यात्म और कला के लिहाज से इस शहर में हमेशा सरगर्मी देखी जा सकती है. और इसकी वजह है इस शहर की ख़ास बनावट, रूप रंग, बोली और मिजाज. लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान इस शहर को लेकर बदलाव भी देखने को मिल रहा है.

2014 में यहां से नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के बाद ये शहर दुनियाभर की दिलचस्पी में बना हुआ है. इस शहर में फ़िल्में, डॉक्यूमेंट्री और कई कहानियां पहले भी शूट हुई हैं, पर तब यहां फिल्मों को शूट करना बड़ी चुनौती थी. दीपा मेहता की ‘वाटर’ पर तो इतना बवाल हुआ कि उन्हें अपनी फिल्म इस शहर से भी बहुत दूर जाकर शूट करनी पड़ी. पर पिछले चार पांच सालों में ये सिलसिला थमा है. भोजपुरी फ़िल्में तो यहां बड़े पैमाने पर शूट हो ही रही हैं, हिंदी फिल्मों के लिए भी लोग अब बनारस का रुख कर रहे हैं. और फिल्मकारों का बनारस में पड़ाव किसी तीर्थयात्रा के सीन्स का फिल्मांकन भर नहीं है बल्कि पूरी कहानियां ही बनारस की हैं.

मजेदार यह कि शहर की सामाजिक बनावट, संस्कृति और अध्यात्म पर केंद्रित पूरी की पूरी फिल्म और कहानी बनारसी है. मसान, मुक्तिभवन, अंग्रेजी में कहते हैं और मुल्क तीन ऐसी फ़िल्में हैं जिनकी कहानी बनारस के सामजिक ताने बाने में ही रची बसी और यहीं शूट हुई हैं. हाल ही में यहां ऋतिक रोशन की चर्चित फिल्म सुपर 30 की शूटिंग हुई है. आइए जानते हैं यहां शूट हुई कुछ फिल्मों में बारे में..

मसान (2015): नीरज घेवान के निर्देशन में आई इस फिल्म को लोगों ने खूब नोटिस किया. इसकी कहानी बनारस में शवों का अंतिम संस्कार करने वाले एक डोम लड़के की कहानी है. फिल्म में विक्की कौशल और श्वेता त्रिपाठी ने जबरदस्त भूमिकाएं निभाई थी.

मुक्तिभवन (2017): संजय भूटियानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आदिल हुसैन, गीताजंलि कुलकर्णी, ललित बहल, पालोमी घोष नजर आए थे. ये एक छोटे शहर के वृद्ध पिता और उसके बेटे की कहानी है. वृद्ध काशी में मरना चाहता है. वह अपने परिवार के साथ यहां आया है. रिश्तों की संवेदनशील कहानी में बनारस का एक अलग ही रूप देखने को मिला था.

मुल्क (2018): अभिनव सिन्हा के निर्देशन में बनी ये कोर्ट रूप ड्रामा आतंक और उसे लेकर आम मुसलामान की परेशानियों को बयां करती है. फिल्म में ऋषि कपूर, तापसी पन्नू ने जबरदस्त भूमिकाएं निभाई हैं.

अंग्रेजी में कहते हैं (2018): हरीश व्यास के निर्देशन में बनी एक आम निम्न मध्यम वर्गीय बनारसी की कहानी है जो अपनी पत्नी से प्रेम को शादी के ताने बाने में निभा रहा है. अधेड़ शख्स पत्नी को प्यार तो करता है लेकिन इजहार नहीं कर पाता. इस शानदार प्रेम कहानी की खूब चर्चा हुई थी.

मोहल्ला अस्सी (2018): काशी नाथ सिंह की किताब पर आधारित चन्द्र प्रकाश के निर्देशन में बनी ये फिल्म काफी पहले तैयार हो गई थी लेकिन इसे रिलीज होने में काफी वक्त लगा. सनी देओल स्टारर इस फिल्म में एक ब्राहमण पुरोहित की नज़रों से बनारस को देखने की कोशिश की गई है.

फ़कीर इन वेनिस (2019): फरहान अख्तर और अन्नू कपूर स्टारर इस फिल्म की कहानी के केंद्र में बनारस का एक शख्स है जो विदेशियों को अपने करतब से मूर्ख बनाता है. उसकी पहचान एक भारतीय मूल के विदेशी से होती है. वो उसे लेकर वेनिस चला जाता है और वेनिस में दोनों मिलकर खेल करते हैं.

मणिकर्णिका (2019): कंगना रनौत की मुख्य भूमिका और निर्देशन में आई इस फिल्म के कुछ हिस्सों को बनारस में शूट किया गया था. फिल्म झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बायोग्राफी है, लक्ष्मीबाई के जीवन का कुछ हिस्सा बनारस में ही गुजरा था.

सुपर 30 (2019): ये फिल्म निर्माणाधीन है. फिल्म की कहानी एकेडमिक्स आनंद कुमार के जीवन पर आधारित है जिन्हें गरीब बच्चों को आईआईटी और एनआईटी के काबिल बनाने और वहां तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है. फिल्म में आनंद कुमार की भूमिका ऋतिक रोशन निभा रहे हैं. फिल्म के कुछ हिस्से बनारस में भी शूट हुए हैं.

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