खास बातों का ध्‍यान रखे रमजान के दौरान

आप सभी को बता दें कि कल से यानी 7 मई से रमजान शुरू होने जा रहा है. ऐसे में चांद दिखने के बाद से रोजे रखने की परंपरा है और आने वाले एक महीने में मुस्लिम समुदाय रोजे रखकर अल्‍लाह की इबादत करने वाले हैं. जी हाँ, कहा जाता है रमजान के पूरे महीने कुछ खास बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं. 


1. आप सभी को बता दें कि इंसान रमजान की हर रात उससे अगले दिन के रोजे की नियत कर सकता है और इस वजह से यही सही है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें. 

2. कहते हैं अगर कोई रमजान के महीने में जानबूझ कर रमजान के रोजे के अलावा किसी और रोजे की नियत करे तो वो रोजा कुबूल नहीं होगा और ना ही वो रमजान के रोजे में शुमार होगा और उसे इसका फल मिलेगा.

3. कहा जाता है रमजान के महीने में इफ्तार के बाद ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीयें और दिनभर के रोजे के बाद शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है. इसी के साथ मर्दों को कम से 2.5 लीटर और औरतों को कम से कम 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए. 

4. कहते हैं इफ्तार की शुरुआत हल्‍के खाने से करें और खजूर से इफ्तार करना बेहतर माना गया है. इसी के साथ इफ्तार में पानी, सलाद, फल, जूस और सूप ज्‍यादा खाएं और पीएं क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी पूरी होगी. 

5. कहते हैं सहरी में ज्‍यादा तला, मसालेदार, मीठा खाना न खाएं, क्‍यूंकि ऐसे खाने से प्‍यास ज्‍यादा लगती है. वहीं बताया जाता है सहरी में ओटमील, दूध, ब्रेड और फल सेहत के लिए बेहतर हो सकता है. 

6. कहा जाता है रमजान के महीने में ज्‍यादा से ज्‍यादा इबादत करना चाहिर और अल्‍लाह को राजी करना चाहिए क्‍यूंकि इस महीने में कर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है. 

7. कहते हैं रमजान में ज्‍यादा से ज्‍यादा कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्‍लाह का जिक्र करके इबादत करना चाहिए और रोजेदारों को इफ्तार कराना बहुत ही सवाब का काम होता है.

8. कहा जाता है अगर कोई शख्‍स सहरी के वक्‍त रोजे की नियत करे और सो जाए, फिर नींद मगरिब के बाद खुले तो उसका रोजा माना जाएगा, ये रोजा सही है और ठीक भी.

9. आप सभी को बता दें कि रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया है जिनमे पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं जो रहमत का है. वहीं दूसरा अशरा अगले 10 दिन को कहते हैं जो मगफिरत का है और तीसरा अशरा आखिरी 10 दिन को कहा जाता है जो कि जहन्‍नम से आजाती का माना जाता है.

10. कहते हैं अगर रोजेदार दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर निगल जाता है तो उसका रोजा टूट जाता है और वह गुनहगार बन जाता है.

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