वेनेजुएला के राष्ट्रपति के लिए दुश्मन नंबर वन बना अमेरिका, जानिये क्यों
वेनेजुएला दुनिया में कच्चे तेल के सबसे अधिक भंडार के तौर पर पहचाना जाता रहा है। लेकिन इसके बाद भी अब यह देश आर्थिक और राजनीतिक तौर पर बदहाली झेल रहे हैं। आलम ये है कि खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित करने वाले विपक्ष के नेता और नेशनल असेंबली के स्पीकर जुआन गुएडो वेनेजुएला के राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए अमेरिका से मदद मांग रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अमेरिका अपने राजनयिक प्रतिनिधि कार्लोस वेचियो को अमेरिकी दक्षिण कमान से मिलने के लिए कहा है।
हालांकि, उनकी इस अपील से पहले ही अमेरिकी दक्षिण कमान के प्रमुख क्रेग फालर ने ट्वीट किया कि वह वेनेजुएला के विपक्षी नेता की मदद के लिए तैयार हैं। गुएडो ने अपने समर्थन में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी भी दी। इससे पहले भी 30 अप्रैल को गुएडो ने मादुरो को सत्ता से बेदखल करने अपील की थी।
आपको बता दें कि गुएडो को 50 से ज्यादा देशों ने अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दी है। इसमें अमेरिका के अलावा कनाडा, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, होंडुरास, पनामा, पैराग्वे और पेरू समेत 54 देश शामिल हैं।
दूसरी तरफ राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने खुफिया एजेंसी बोलिवरियन नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस (सेबिन) के पूर्व निदेशक मैनुएल रिकार्डो क्रिस्टोफर पर तख्तापलट की हालिया कोशिश का आरोप लगाया है। मादुरो ने शुक्रवार को कहा कि जनरल मैनुएल क्रिस्टोफर ने तख्तापलट की साजिश की, वह कायर और देशद्रोही है। उनके मुताबिक जांच में पुष्टि हुई है कि जनरल क्रिस्टोफर को अमेरिकी खुफिया एजेंस सीआईए ने नियुक्त किया था। वह एक साल से अधिक समय से सीआईए में कार्यरत था और एक घुसपैठिए देशद्रोही के तौर पर काम कर रहा था। उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि वेनेजुएला में हजारों लोग मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ जुआन गुएडो के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वर्ष जनवरी में मादुरो ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ ली थी।
इसके बाद उनके ऊपर चुनावों में गड़बड़ी कराने के संगीन आरोप लगे। यहां पर आपको ये भी बता दें कि राष्ट्रपति मादुरो के देश में नोटबंदी लागू करने के बाद से ही वहां की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। आलम ये है कि देश में मुद्रास्फिति की दर में लगातार लाखों फीसद की वृद्धि हो चुकी है। इसकी वजह से लोग वहां पर दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं।
खाने-पीने की चीजों के दामों के बेतहाशा वृद्धि की वजह से वहां पर कई बार हिंसा तक हो चुकी है। इसके अलावा दवाईयों की कमी के कारण लाखों लोग वेनेजुएला से अन्य देशों में पलायन भी कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक वेनेजुएला के 27 लाख लोगों ने लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में शरण ले रखी है। दूसरी तरफ अमेरिका से नाराज मादुरो लगातार गुएडो और अमेरिका को सवालों के घेरे में लाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ चीन तथा रूस मादुरो का खुल कर समर्थन कर रहे हैं।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि 1980 और फिर 1990 में भी देश राजनीतिक संकट के दौर से गुजरा था। इसके अलावा 1992 में दो बार यहां पर सत्ता पलट की कोशिशें की गई थीं। बोलवेरियन क्रांति का नेतृत्व करने वाले शावेज ने भी यहां पर सत्ता पलट करने की कोशिश की थी। लेकिन आर्थिक बदहाली की वजह सिर्फ यहां का राजनीतिक संकट ही नहीं है। आपको यहां पर बता दें कि अमेरिका और वेनेजुएला में काफी समय से तनाव है। इतना ही नहीं अमेरिका ने वेनेजुएला पर कई तरह के प्रतिबंध तक लगा रखे हैं। इसकी वजह से भी यह देश आर्थिक बदहाली का शिकार हो गया है।
दो दिन पहले ही अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने वेनेजुएला की दो शिपिंग कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इनके जरिए वेनेजुएला से क्यूबा तक तेल पहुंचाया जाता है। इसके अलावा वेनेजुएला के रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी गई है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने कहा, यदि सैन्य सहयोग के बदले में क्यूबा वेनेजुएला से तेल प्राप्त करना जारी रखता है तो अमेरिका आगे की कार्रवाई करेगा।