अपने-‘अर्जुन’ को पीछे छोड़ रथ भगाना चाहते तेज प्रताप : लालू परिवार का महाभारत
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दोनों पुत्र तेज प्रताप यादव एवं तेजस्वी यादव राजनीति में कदम रखने के बाद पहले ही झटके में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े दिखते हैं। महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जब तक थे, तब तक तो ठीक था। मंत्री पद व पिता के जेल जाते ही लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने महाभारत की शुरुआत कर दी। आजकल तो वे अक्सर यह कहते सुने जाते हैं कि लालू का असली वारिस वे ही हैं।
दरअसल, वे यह बताना चाहते हैं कि बड़ा बेटा होने के नाते लालू का उत्तराधिकार उन्हें ही मिलना चाहिए। उत्तराधिकार न सही, महत्व तो मिलना ही चाहिए, जो न तो परिवार में मिल रहा और न ही पार्टी में। तेजस्वी इस मामले में तेज निकले हैं। पार्टी उनके साथ खड़ी दिखती है और परिवार भी। तेज प्रताप की पूरी कोशिश अपने ‘अर्जुन’ तेजस्वी को पीछे छोड़कर खुद आगे निकल जाने की है। इसी कवायद में वह बार-बार बयान, तेवर और व्यवहार बदल रहे हैं।
छोटे भाई के प्रति कभी अतिशय प्यार, तो कभी आरपार
तेज प्रताप यादव छोटे भाई तेजस्वी के प्रति कभी अतिशय प्यार, तो कभी आरपार करते दिखते हैं। पिछले छह महीने से घर में आना-जाना नहीं है और एक महीने पहले राजद से अलग ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ भी बना लिया है। तेजस्वी जिसे जिताना चाहते हैं, तेजप्रताप उसे हराने में लगे हैं।
टिकट बंटवारे के बाद खुली बगावत
टिकट बंटवारे के बाद लालू परिवार के घोषित सियासी उत्तराधिकारी के खिलाफ तेज प्रताप ने खुली बगावत कर दी है। पहले राबड़ी देवी के आवास के बड़े परिसर में वर्चस्व बढ़ाने-बचाने के लिए दांव-पेच का सहारा लिया जा रहा था। इससे राजद के ज्यादातर समर्थक अनजान थे। किंतु अब खुले मैदान का खेल हो चुका है। सभी देख रहे हैं और परिणाम का इंतजार भी कर रहे हैं।
अब तो छिपने वाली बात नहीं
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा अभी भी लालू परिवार और राजद में ऐसे किसी विवाद को खारिज करते हैं, किंतु तेज प्रताप के पिछले एक महीने की गतिविधियां और बयानबाजी बता रही हैं कि लोकसभा चुनाव के साथ ही लालू परिवार के आपसी संबंधों के नतीजे भी आ सकते हैं।
शिवहर में अंगेश सिंह की उम्मीदवारी खारिज हो जाने और सारण में ससुर चंद्रिका राय की मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अब जंग का मैदान जहानाबाद बन गया है, जहां 19 मई को मतदान होना है। इस सीट पर दोनों भाई के अलग-अलग प्रत्याशी हैं। राजद के अधिकृत प्रत्याशी सुरेंद्र यादव हैं तो तेज प्रताप के लालू राबड़ी मोर्चा के चंद्रप्रकाश यादव। सुरेंद्र यादव की जीत के लिए तेजस्वी पसीना बहा रहे हैं तो चंद्रप्रकाश के लिए तेज प्रताप।
सारण में भी चंद्रिका के पक्ष में तेजस्वी ने रोडशो किया था, किंतु तेज प्रताप ने उन्हें बहुरूपिया बताकर समर्थकों से वोट नहीं देने की अपील की थी।
छोटे भाई पर व्यक्तिगत हमले करते रहे तेज प्रताप
तेज प्रताप जहानाबाद की चुनावी सभा में वहां के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को हराने की बात करते हैं और शिवहर के
प्रत्याशी सैयद फैसल अली को भाजपा का एजेंट करार देते हैं। इतना ही नहीं, जिस अपने छोटे भाई को वे अर्जुन’ बताकर बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की बात करते थे, अब उन्हीं की क्षमता पर सवाल खड़े करते हैं। तेज प्रताप कहते हैं कि लालू जी एक दिन में 10-12 चुनावी सभाएं करते थे, लेकिन आज के नेता दो-तीन सभाओं में ही हांफ जाते हैं। तेज प्रताप के इस बयान को परोक्ष तौर पर तेजस्वी पर हमला माना जाता है, क्योंकि तबीयत खराब होने के कारण नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी पहले से निर्धारित अपनी तीन-चार सभाएं स्थगित कर चुके हैं।
लालू के जेल जाते ही खटपट
लालू परिवार में विरासत की लड़ाई उसी समय प्रारंभ हो गई थी, जब चारा घोटाले में राजद प्रमुख को जेल जाना पड़ा। परिवार को संभालने की जिम्मेदारी अकेली राबड़ी के कंधों पर आ गई। पार्टी का काम तेजस्वी को सौंपकर राबड़ी ने अपना पूरा फोकस परिवार पर कर लिया था। शुरू में सबकुछ अच्छा चला, लेकिन इसी बीच तेज प्रताप की खटपट उनकी पत्नी एश्वर्या राय से शुरू हो गई। शादी साल भर भी नहीं चली। मामला तलाक और अदालत तक पहुंच गया। इसके बाद परिवार का विवाद पहली बार परिसर से बाहर निकला। तेज प्रताप ने अपने घर से दूरी बना ली और अलग सरकारी आवास लेकर परिवार की पकड़ से भी दूर हो गए।
इस बोल के गहरे अर्थ
जहानाबाद में अपने प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करते हुए तेज प्रताप ने कहा कि मैं लालू प्रसाद का खून हूं। मैं ही दूसरा लालू हूं। लालू जी बहुत ऊर्जावान हैं। एक दिन में 10-12 सभाएं करते थे। अब के नेता दो-तीन सभाओं में ही बीमार पड़ जाते हैं। तेज प्रताप का यह एलान पिता की राजनीतिक विरासत पर दावा ठोकने जैसा है। इसे तेजस्वी पर बड़े भाई का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।
तेज प्रताप अनुशासन के दायरे में
तेज प्रताप की बगावत को राजद अनुशासनहीनता मानने के लिए तैयार नहीं है। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि उन्होंने जो किया है या जो कर रहे हैं वह सब अनुशासन के दायरे में है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी का मामला अलग है। उन्होंने महागठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन कर दिया था, जबकि तेज प्रताप ने ऐसा कुछ नहीं किया है। बाकी सवालों को मनोज ने टाल दिया।