मध्य प्रदेश में भीषण जल संकट और भोपाल में हालत सबसे बदतर हुए…

मध्य प्रदेश के कई शहर के भीषण जल संकट की चपेट में हैं. हालात इतने बदतर हैं कि दो दर्जन से अधिक शहरों में एक दिन छोड़ कर पानी की सप्लाई की जा रही है. राजधानी भोपाल सहित लगभग दर्जन भर से अधिक जिलों को जल आभाव ग्रस्त घोषित किया गया है. स्थानीय जिला प्रशासन ने इन क्षेत्रों को जल आभाव ग्रस्त घोषित किया है. 

राज्य के बांध और तालाब भी गंभीर जलसंकट के दौर में दम तोड़ रहे हैं. हालात इतने भीषण है कि सरकार खुद सूखे के हालात पर बैठकों पर बैठक ले रही है और संकट को बढ़ता देख पहले की सरकार पर ठीकरा फोड़ रही है. वहीं सूबे की राजधानी भोपाल में कई क्षेत्रों में अघोषित रुप से दो दिनों में एक बार ही पानी की सप्लाई की जा रही है.

यही नहीं जल संकट की ये स्थिति राज्य के दूसरे जिलों में भी है. हालात इतने खराब है कई जिलों में निजी ट्यूबवेल, कुएं, बावड़ी, तालाब और अन्य निजी जलस्रोतों के अधिग्रहण के आदेश दे दिए हैं. जिले में सभी एसडीएम को अधिकार दिए गए हैं कि उनके क्षेत्र में पानी की समस्या होने पर जलस्रोतों का अधिग्रहण कर सकेंगे.

भोपाल में 187 में से 23 पंचायतों में नल जल योजनाएं सूख चुकी हैं. 4312 बोर में से 8% सूखे, 12% जल्द ही सूखने वाले हैं. जलसंकट का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि राजधानी में प्रतिदिन 104 एमजीडी पानी की सप्लाई की जरुरत है, किन्तु, निगम केवल 70 एमजीडी ही सप्लाई कर रहा है. दूसरी तरफ प्रदेश के 165 बड़े जलाशयों में से 80 से अधिक का पेट खाली है और 30 में उनकी क्षमता का 10 प्रतिशत से भी कम पानी बचा है. 

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