श्रद्धा और विश्वास का सावन आज से शुरू, कभी भगवान शंकर को इस मंदिर में लेनी पड़ी थी शरण
बाबा भोले को प्रिय मास सावन का आज बुधवार से आरंभ हो गया। उबड़-खाबड़ मार्ग और विपरीत मौसम में भोले बाबा की अलौकिक छवि को एक पल निहारने और जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु शिव मंदिरों में सुबह से ही पहुंच रहे हैं। लंबी- लंबी कतारों में श्रद्धालु बोले का दर्शन पाने को इंतजार में खड़े हैं। ऐसे में शहर में मनकामेश्वर, महाकाल, बुद्धेश्वर समेत विभिन्न शिव मंदिरों में आस्था का मेला लगेगा।
एक दिन पहले से ही शहर के शिव मंदिरों में विशेष अभिषेक एवं अनुष्ठान के प्रबंध किए जाने लगे। श्रद्धा और विश्वास से परिपूर्ण कांवड़ यात्रा का दृश्य साकार होने लगता है। एक अगस्त को हरियाली अमावस्या पड़ेगी, जबकि माह का समापन रक्षाबंधन के दिन यानी 15 अगस्त को होगा। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ेंगे। सावन की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी। शहर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों से होते हुए श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए रवाना होंगे।
सावन के चार सोमवार
- पहला सोमवार 22 जुलाई
- दूसरा सोमवार 29 जुलाई
- तीसरा सोमवार पांच अगस्त
- चौथा सोमवार 12 अगस्त
ऐसे करें शिवजी की पूजा
सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है। व्रत रखने वालों को इस दिन भगवान शिव के साथ मां गौरी की पूजा भी करनी चाहिए। तड़के स्नान करने के बाद सफेद या हरे रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद पुष्प, दूब, बेल पत्ता, धतूरा आदि से पूजन करें।
बुद्धेश्वर मंदिर में लगेगा ऐतिहासिक मेला
मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर मंदिर में सावन मेले को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहला ऐतिहासिक मेला बुधवार को लगेगा। सुबह से ही मंदिर पर श्रद्धालु बाबा के दर्शन करेंगे। सावन में इस बार पांच बुधवार पडेंग़े। पहला बुधवार 17 जुलाई, दूसरा 24 जुलाई, तीसरा 31 जुलाई, चौथा सात अगस्त व पांचवां 14 अगस्त को होगा। पाचों दिन में मंदिर परिसर में मेला लगेगा। मंदिर की महंत लीलापुरी व सदस्य रामशंकर राजपूत ने बताया कि दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के कपाट देर रात से ही खोल दिए जाएंगे। मेले के दिन सुबह चार बजे पंचमुखी आरती, दोपहर में महाभोग, शाम को इक्यावनमुखी आरती की जाएगी। रात में भगवान बुद्धेश्वर बाबा का पुष्पों से भव्य श्रृंंगार किया जाएगा। मेला परिसर में दुकानदारों दुकानें सजा ली हैं। बच्चों के लिए झूले भी लग गए हैं।
ये है मान्यता
मंदिर की महंत लीलापुरी व सदस्य रामशंकर राजपूत ने बताया कि भगवान शंकर भस्मासुर से बचने के लिए बुद्धेश्वर मंदिर पर आए थे। यहीं पर उन्हें भस्मासुर से बचने की युक्ति सूझी थी। त्रेतायुग में माता सीता ने वन जाते समय यहां भगवान शिव की पूजा की थी। वह दिन बुधवार था। इसलिए यहां पर भगवान बुद्धेश्वर की पूजा की परम्परा शुरू हुई।
महाकाल मंदिर में भव्य होगी भस्म आरती
राजेंद्रनगर स्थित महाकाल मंदिर में बुधवार को सुबह साढ़े चार बजे चंद्रग्रहण का सूतक खत्म होने के बाद अखंड ज्योति जलाई जाएगी। यह ज्योति सावन भर अनवरत जलेगी। इसके बाद वेदी पूजन होगा। वहीं, हर सोमवार को भस्म आरती होगी। इस बार अभी तक 41 लोगों ने भस्म आरती और रुद्राभिषेक के लिए बुकिंग कराई है। रात 12.30 बजे से दो बजे तक पहला पूजन और दूसरा पूजन रात दो बजे से भोर पौने चार बजे तक चलेगा। मंदिर व्यवस्था समिति के सदस्य अतुल मिश्रा ने बताया कि आखिरी सोमवार यानी 12 अगस्त को महाआरती होगी। 14 अगस्त को भंडारा होगा।
मनकामेश्वर में जलाभिषेक को उमड़ेंगे श्रद्धालु
सावन के पहले दिन से ही मनकामेश्वर मंदिर में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करेंगे। मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर 12 से तीन बजे तक मंदिर बंद रहता है। शाम छह बजे के बाद जल नहीं चढ़ाया जाता। ऐसे में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर तीन से शाम पांच बजे तक अनुष्ठान होंगे। इस बीच जलाभिषेक और रुद्राभिषेक भी होगा।