च‍िदंबरम को ED की गिरफ्तारी से कल तक की राहत, परिवार ने दी सरकार को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आईएनएक्‍स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले (INX Media money laundering case) में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P Chidambaram) को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम रोक को बुधवार तक के लिए बढ़ा दिया है। जस्टिस आर. भानुमती (R Banumathi) और एएस बोपन्‍ना (AS Bopanna) की पीठ अब बुधवार को चिदंबरम की दो याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) की दलीलें सुनेगी। चिदंबरम ने इनमें एक याचिका में हिरासत के आदेशों को भी चुनौती दी है।

 

इस बीच पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के परिवार ने एक बयान जारी करते हुए कहा- हम सरकार को चुनौती देते हैं कि वह दुनिया में कहीं भी हमारे एक अघोषित बैंक खाते/संपत्ति या शेल कंपनी का साक्ष्य प्रस्तुत करें। हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि अंततः सत्य की ही जीत होगी।

मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के हलफनामे पर चिदंबरम की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्‍बल ने INX मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले (INX Media money laundering case) में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तीन तारीखों में की गई पूछताछ की प्रतिलिपि की मांग की। उन्‍होंने कहा कि मैंने एक आवेदन दायर किया है जिसमे पिछले साल 19 दिसंबर, एक जनवरी और 21 जनवरी, 2019 को चिदंबरम से की गई पूछताछ का लिखित ब्यौरा पेश करने का ईडी को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

सिब्बल ने कहा कि पूछताछ के इस लिखित ब्यौरे से पता चल जाएगा कि क्या चिदंबरम पूछताछ के दौरान जवाब देने से बच रहे थे जैसा कि ईडी आरोप लगा रहा है। उन्होंने जस्टिस आर भानुमती और एएस बोपन्‍ना की पीठ से कहा कि चिदंबरम को हिरासत में लेने के लिए प्रवर्तन निदेशालय मनमाना तरीके से कोई दस्तावेज दाखिल नहीं कर सकता है। ईडी अचानक दस्तावेज पेश कर रहा है और कहता है कि यह केस डायरी का हिस्सा है। वहीं चिदंबरम की ओर से दूसरे अधिवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी के वकील चिदंबरम को हिरासत में लेने के लिए पीछे से दस्तावेज पेश नहीं कर सकते हैं। इसके पक्ष में उन्‍होंने कानूनी प्रावधानों का भी उल्‍लेख किया।

बता दें कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत रद करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 20 अगस्त के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई अपील पर सुनवाई कर रहा है। अदालत ने सोमवार को चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम रोक की अवधि मंगलवार तक के लिए बढ़ा दी थी। सीबीआइ ने 15 मई 2017 को दर्ज की गई एफआइआर में आरोप लगाया था कि आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश हासिल करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में कथित गड़बड़ी की गई।

दरअसल, चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की थी। दो याचिकाओं में सीबीआइ व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है, जबकि तीसरी में सीबीआइ हिरासत में भेजे जाने के आदेश को चुनौती दी गई है। सोमवार को अग्रिम जमानत अर्जी पर बहस की शुरुआत करते हुए चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की दुहाई देते हुए कहा कि उन्‍होंने तमाम कोशिशें की, लेकिन उनको सुना ही नहीं गया।

कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तार होने के बाद सीबीआइ हिरासत में भेजे जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका महत्वहीन हो गई है। ऐसे में इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम से कहा कि वह इस मामले में नियमित जमानत याचिका दाखिल करें। इसके बाद सिब्बल ने ईडी मामले में अग्रिम जमानत पर बहस की और कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई का उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।

सिब्‍बल ने अपनी बहस में कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री को हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सारी चीजें लेन-देन दस्तावेज और बैंक ट्रांजेक्शन हैं। जब ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था, उस समय ये बातें नहीं पूछी थी, जिनके अब आरोप लगाए जा रहे हैं। ईडी कह रहा है कि चिदंबरम की 11 संपत्तियां और 17 बैंक खाते विदेश में हैं, जबकि चिदंबरम की न तो कोई संपत्ति और न ही कोई खाता विदेश में है। सिब्बल ने ईडी की ओर से दाखिल जवाब का प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए कोर्ट से मंगलवार तक का समय मांगा था।

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