अजब घोटाला : 12 साल की उम्र में बन गई मां, शादी से पहले तीन बच्चों को दिया जन्म
सुनने में भले अटपटा और अविश्वसनीय लगे लेकिन जिले की एक आंगनवाड़ी सेविका शादी से पहले ही तीन बच्चों की मां बन गई थी। हद तो तब हो गई जब उस सेविका के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और उसकी बेटी के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र का मिलान किया गया तो दोनों के उम्र में महज 11 साल 8 माह का अंतर पाया गया। मतलब करीब 12 साल की उम्र में ही वह कुंवारी मां बन गई थी।
मामला झाझा प्रखंड के पैर गांव पंचायत अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 252 सबैजोर की सेविका नीतू कुमारी के चयन में फर्जीवाड़ा से जुड़ा है। यहां यह बताना लाजिमी है कि मुखिया द्वारा निर्गत परित्यक्ता प्रमाण-पत्र के अनुसार आंगनवाड़ी सेविका की शादी वर्ष 2006 में हुई थी। वर्ष 2012 में उसका पति कपिलदेव प्रसाद वर्णवाल ने उसका परित्याग कर दिया।
यह दीगर बात है कि वर्ष 2013 में संस्कृत शिक्षा बोर्ड से मध्यमा की परीक्षा का प्रमाण-पत्र पति कपिलदेव प्रसाद वर्णवाल ने ही रिसीव किया और 2015 के वोटर लिस्ट में सेविका नीतू के पति के रूप में कपिलदेव वर्णवाल का नाम अंकित है।
इन तमाम तथ्यों और सबूतों के बावजूद पांच वर्षों में भी इसकी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है। इससे इस मामले में मुखिया, सीडीपीओ और आइसीडीएस के तत्कालीन डीपीओ से लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी तक सवालों के घेरे में हैं। बहरहाल, उस मामले की सुनवाई फिर से डीपीओ के समक्ष की जा रही है।
– आरटीआआइ से प्राप्त तथ्य एक नजर में:
नीतू की जन्म तिथि 5 नवंबर 1987
– उसकी प्रथम पुत्री नेहा की जन्म तिथि : 6 जुलाई 1999
– पुत्र रवि रंजन की जन्म तिथि : 10 अक्टूबर 2002
– पुत्र रितेश रंजन की जन्म तिथि : 5 मई 2005
– मुखिया द्वारा निर्गत प्रमाण-पत्र में नीतू की शादी का वर्ष : 2006
– नीतू की परित्यक्ता का वर्ष : 2012
– मध्यमा परीक्षा उत्तीर्ण करने का वर्ष : 2013
आंगनबाड़ी सेविका पद पर चयनित होने का वर्ष 2014
दो दफे प्रकाशित हुई थी मेधा सूची
आंगनवाड़ी सेविका चयन के लिए दो दफे मेधा सूची प्रकाशित की गई थी। पहली बार प्रकाशित मेधा सूची में पहले नंबर पर विभा देवी पति ललन कुमार का नाम दर्ज था, जबकि दूसरी बार परित्यक्ता प्रमाण-पत्र संलग्न कर नीतू का नाम प्रथम स्थान पर दर्ज हो गया। दो बार मेधा सूची जारी करने के मामले में तत्कालीन सीडीपीओ देवमुनि भी संदेह के दायरे में है।
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। वैसे सभी लंबित मामलों की त्वरित गति से सुनवाई का निर्देश डीपीओ आइसीडीएस को दिया गया है। फर्जीवाड़े का मामला साबित होने पर संबंधित लोगों के विरुद्ध केस दर्ज किया जाएगा।